न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड से नक्सलियों के सफाये ते दावे के बाद भी झारखंड में नशे का कारोबार बदस्तूर जारी है। क्योंकि झारखंड में अफीम की खेती के काले कारोबार की शुरुआत भी नक्सलियों ने की थी। अफीम की खेती से ही नक्सली अपने काले कारनमों को अंजाम देने के लिए काफी धन इकट्ठा हो जाया करता था। इधर, अब भी जहां-तहां अफीम की हो रही खेती को पुलिस नष्ट कर रही है, इसके बावजूद पोस्ते की खेती और अफीम का उत्पादन लगातार जारी है। इसका प्रमाण है पंजाब में कई किलो अफीम के साथ झारखंड के युवक का पकड़ा जाना। पंजाब में जालंधर पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल ने झारखंड के एक युवक को आठ किलो अफीम के साथ गिरफ्तार किया है। युवक की पहचान झारखंड के चतरा जिले के गदेर गांव के रामचरण के रूप में हुई है।
चतरा नक्सवाद से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों के रूप में जाना जाता है, यहां के कई दुर्गम इलाकों में पुलिस भी जाने से करताती है। तो जाहिर है कि नक्सल प्रभावित इस इलाके में नशे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा होगा। सम्भव है कि युवक का सम्बंध पूर्व या वर्तमान में नक्सलियों के साथ भी निकल आ सकता है। पुलिस से जो जानकारी निकल कर आयी है, उससे पता चलता है कि युवक अफीम कारोबार में कुरियर का काम करता है। वह चतरा जिले से अफीम की खेप लेकर जालंधर पहुंचा था, जिसे गुप्त सूचना के बाद धर दबोचा गया था।
पंजाब से जुड़े हैं, झारखंड के तस्करों के तार
पंजाब में चतरा के रामचरण की गिरफ्तार कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले झारखंड का एक युवक को जालंधर के मकसूदां में करीब तीन किलो अफीम के साथ पकड़ा गया था। यह युवक पहले जालंधर में मजदूरी करता था, लेकिन वह झारखंड के तस्करों के संपर्क में आ गया और पैसों की लालच में अफीम की सप्लाई शुरू कर दी। ये दो घटनाएं बताने के लिए काफी हैं कि झारखंड के युवा पैसों और नक्सलियों के दवाब में अफीम का काला कारोबार कर रहे हैं। याद होगा, देश में पंजाब नशे के कारोबार का एक बड़ा गढ़ है। पाकिस्तान की सीमा से लगने के कारण यहां नशे का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। पंजाब हो या राजस्थान, इनकी सीमाओं में अक्सर ड्रोन के माध्यम से अफीम, हेरोइन की खेप आने की खबरें आती रहती हैं।
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