देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी दो विधेयक संसद में पेश किये जाने थे, लेकिन सोमवार को सदन में पेश होने की सम्भावना नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि सोमवार को लोकसभा में सदन की होने वाली कार्यवाही के लिए पुनरीक्षित कार्य सूची में इन दोनों विधेयकों का जिक्र नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में एक देश एक चुनाव सम्बंधी बिल को मंजूरी मिल जाने के बाद उम्मीद थी यह बिल सोमवार को सदन पटल पर रखा जा सकता है। शनिवार को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी विधेयक को सोमवार को सदन में पेश करने का जिक्र किया था।
बता दें कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर को ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़ी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी। इसके बाद गुरुवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक देश एक चुनाव’ से जुड़े दो विधेयकों को संसद में पेश किए जाने की मंजूरी दे दी थी। इनमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में है।
संविधान में जुड़ जायेगा नया अनुच्छेद
वन नेशन वन इलेक्शन बिल के जरिए संविधान में 82ए का नया अनुच्छेद जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अनुच्छेद 83 यानी संसद के सदनों का कार्यकाल, अनुच्छेद 172 यानी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल और अनुच्छेद 327 यानी निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन में भी बदलाव किया जाना है।
बता दें कि देश में साल 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही होते रहे थे। साल 1968 और 1969 में कुछ राज्यों की सरकारों का बीच कार्यकाल में ही पतन हो गया। इसके अलावा केंद्र में भी 1980 के दशक के बाद सरकारों के गिरने का क्रम देखा गया। इसके कारण लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होने लगे।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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