बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘तीर‘ निशाने पर इस बार एक नहीं कम से कम दो-तीन लक्ष्य हैं। लालू और तेजस्वी की लालटेन की लौ को एक फिर सियासी ठंडक बर्दाश्त नहीं हो पा रही है। कांग्रेस भी लाख दावा कर ले कि उसका ‘हाथ’ मजबूत है और ‘लालटेन’ का साथ वह नहीं छोड़ेगी। बावजूद इसके भाजपा के राजनीतिक फंडे में कांग्रेस मुक्त भारत का सियासी गणित अब बिहार में जोर पकड़ने लगा है। दरअसल, बिहार में 122 के साथ बहुमत का आंकड़ा जुटाने में और आगे 24 का खेल सजाने में बीजेपी को एक बार फिर से पलटू राम का ही सहारा लेना मुनासिब लग रहा है। और यही वजह है कि लालू के ‘छोटका भइया’ ने अब फोन उठाना भी बंद कर दिया है। पलटू राम यह भी भूल गये कि हाल ही में कुछ वर्ष पहले ललाट पर तिलक लगाकर लालू ने उन्हें बिहार का सत्ताधीश बनाया था। खैर, राजनीति यही है और जुगाड़ डॉट कॉम की कहानी भी।
बदलते हालात में जदयू और बीजेपी के गठजोड़ के बाद बहुमत का आंकड़ा यह गठबंधन आसानी छू ले रहा है। इतना ही नहीं, 2019 की तरह 2024 में भी यह गठबंधन लोकसभा में अपनी मजबूत पकड़ बिहार से दिखा सकता है। दूसरी तरफ लालू का राजद पुरजोर कोशिश कर भी ले तो बाकी दलों को समेटते हुए सत्ता की राह आसान होती नहीं दिख पा रही है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बिहार में खेला होना अब तय है।
न्यूज डेस्क/ – समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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