झारखंड विधानसभा में अब खाली रहेगी कुर्सी नंबर-82, आखिर क्यों?

Jharkhand Assembly Session: विधानसभा में 82वें विधायक के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय के किसी व्यक्ति को मनोनीत करने की संवैधानिक व्यवस्था समाप्त हो जाने की वजह से इस बार झारखंड विधानसभा में सदस्यों की संख्या 82 से घटकर 81 रह गई है। 82 नंबर की यह सीट अब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी। यह सीट झारखंड गठन के बाद से ही एंग्लो-इंडियन समुदाय से आने वाले विधायक का हुआ करता  था । बता दें कि देश की संसद और कई अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी 1952 से चली आ रही संवैधानिक व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 334 बी में यह व्यवस्था की गई थी लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के अधिकतम दो सदस्यों का मनोनयन भारत के राष्ट्रपति करते थे, वहीं अनुच्छेद 333 के अंतर्गत राज्यों की विधानसभाओं में अधिकतम एक सदस्य को मनोनीत करने का अधिकार राज्यपाल के पास था।

इस संविधान संशोधन के जरिए व्यवस्था हुई समाप्त

जनवरी, 2020 में संसद में पारित 126वें संविधान संशोधन के जरिए संसद और देश के 13 राज्यों की विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन समुदाय के मनोनयन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया। झारखंड जब एकीकृत बिहार का हिस्सा था, तब वहां विधानसभा के सदस्यों की संख्या 325 होती थी। 324 विधायक विभिन्न क्षेत्रों से निर्वाचित होते थे। जबकि, 325वें सदस्य के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय से एक व्यक्ति का मनोनयन होता था।

जोसेफ पंचोली ग्लेस्टिन पहले और ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन अंतिम एंग्लो इंडियन विधायक 

झारखंड जब एकीकृत बिहार का हिस्सा था, तब वहां विधानसभा के सदस्यों की संख्या 325 होती थी। 324 विधायक विभिन्न क्षेत्रों से निर्वाचित होते थे। जबकि, 325वें सदस्य के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय से एक व्यक्ति का मनोनयन होता था। झारखंड जब वर्ष नवंबर 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, तब एंग्लो इंडियन विधायक का कोटा बिहार से झारखंड स्थानांतरित हो गया। इसके बाद जोसेफ पंचोली ग्लेस्टिन 2005 में पहले एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत किए गए। 2009 में उनका दूसरी बार मनोनयन हुआ। 2014 और 2019 में उनके पुत्र ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन (Glenn Joseph Golsteyn) विधायक मनोनीत किए गए थे।

न्यूज़ डेस्क/ संचार प्लस, झारखंड- बिहार 

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