संसदमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की टकराव अब अगले स्तर पर पहुंच गयी है। सोमवार को खबर आयी थी कि राज्यसभा सभापति जगदीप खनखड़ के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लायेगा और मंगलवार को उसने ऐसा कर भी दिया है। इंडी गठबंधन की पार्टियों ने इस आशय का नोटिस राज्यसभा के महासचिव को दिया है। इस नोटिस में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कई पार्टियों के 60 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। विपक्ष धनखड़ खिलाफ उनके कथित पक्षपात पूर्ण रवैये और सदन को सुचारू रूप से न चला पाने का आरोप लगाकर यह अविश्वास प्रस्ताव लाया है।
कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा, ‘राज्यसभा सभापति के अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्यवाही का संचालन सही तरीके से नहीं करा पाने के कारण इंडी गठबंधन के सभी घटक दलों के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसलिए संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ रहा है। बता दें कि इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी होता है।
विपक्ष क्या पारित करा पाएगा अविश्वास प्रस्ताव?
अब सवाल यह है कि क्या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव को पास करा पायेगा? क्योंकि विपक्ष के पास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं है। राज्यसभा में प्रस्ताव के पास होने की मामूली संभावनाएं हैं, लेकिन लोकसभा में काफी मुश्किल है। एक बात यह भी है कि शायद विपक्ष एक बार फिर से अपनी शक्ति आंकना चाहता है। ऐसा वह मोदी 2.0 में भी कर चुका है। उसका कहना भी है कि भले ही प्रस्ताव पारित न हो पाये, लेकिन ये यह इंडी गठबंधन को मजबूत कर सकता है और एकता का संदेश जा सकता है। बता दें कि भारत के संसदीय इतिहास में अभी तक सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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