Nitish Kumar Bihar: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बिहार के नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं। विपक्षी दलों के तमाम नेताओं से उनका मिलना-जुलना चल रहा है। इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोलकाता में और लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात करने वाले हैं। दिल्ली में राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन समेत कई कांग्रेसी नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं। आश्वासन तो खूब मिले, सहमति भी खूब बनी, लेकिन एकता की गांठ अभी जुड़ नहीं पायी है। इसका कारण यह है कि हर पार्टी अपने लाभ-हानि के लिहाज से जोड़ घटाव कर रही है। नीतीश कुमार ने इतना भर किया है कि अपने आपको कथित तौर पर प्रधानमंत्री की रेस से बाहर कर लिया है। लेकिन दूसरे राज्यों के क्षत्रप भी उनके पास जो भी न तो उसे खोना चाहते हैं और बांटने की हिम्मत कर पा रहे हैं। यहीं पर एकता होते-होते रह जा रही है।
ममता और अखिलेश से मुलाकात कितना रंग लायेगी?
नीतीश और ममता की मुलाकात हावड़ा जिले में पश्चिम बंगाल सरकार के सचिवालय ‘नबन्ना’ में होगी। वहीं लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी नीतीश कुमार की मुलाकात होने वाली है। विपक्षी एकता को लेकर इन दोनों नेताओं से नीतीश कुमार पहले भी मुलाकातें कर चुके हैं। लेकिन विपक्षी एकता में आड़े आ रहा है, इन दोनों नेताओं के अपने-अपने राज्यों में उनका प्रभुत्व। ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में एक छत्र राज है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में ममता किसी को सेंधमारी करने नहीं देना चाहती हैं। फिर अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया है, ऊपर से इस चुनाव परिणाम से उत्साहित अखिलेश यादव ने तो अगले लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत का ऐलान भी कर रखा है।
जब इन नेताओं की महत्वाकांक्षा इतनी बड़ी और बढ़ी हुई है तो नीतीश कुमार की इनके बीच में घुसपैठ कैसे हो सकती है। विपक्षी एकता का मतलब तमाशबीन बन कर रहना नहीं है, बल्कि इसके लिए सीटों का बंटवारा जरूरी है। अब नीतीश कुमार ही बतायें, क्या पश्चिम बंगाल की ममता अपने राज्य में नीतीश तो क्या किसी के लिए भी कोई सीट छोड़ सकेंगी? यही हाल अखिलेश यादव का भी है, यूपी की सभी सीटों पर दावा कर रहे सपा सुप्रीमो भी नीतीश तो क्या किसी और के लिए कोई भी सीट छोड़ पायेंगे? यानी सीटों का बंटवारा विपक्षी एकता की राह में बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है।
विपक्षी एकता में अब तक फेल रहे हैं तेलंगाना के सीएम केसीआर
जिस तरह नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए जी-जान से जुटे हुए है, ऐसी हो कोशिश तेलंगाना के सीएम और बीआरएस के चीफ के. चंद्रशेखर राव भी कर चुके हैं, लेकिन सफलता उन्हें भी अब तक नहीं मिली है। फिर विपक्षी दलों की एकता कराने के लिए जदयू के नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कूदे हुए है। जिस प्रकार चंद्रशेखर राव तो विपक्षी एकता कराने में अब तक नाकाम दिख रहे हैं। वही हाल नीतीश कुमार का भी है। हाथ-पांव तो अब तक खूब मार चुके हैं, लेकिन सफलता इनके हाथों से भी दूर है।
राहुल गांधी के आगे ‘झुकने’ के अलावा कांग्रेस से भी कुछ हासिल नहीं हुआ है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल में दिल्ली में चार दिवसीय राजनीतिक प्रवास पर रहे। इस दौरान 12 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके आवास पर एक बैठक की थी, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत कई अन्य नेता शामिल हुए थे। सभी नेताओं ने विपक्षी एकता को लेकर इस बैठक को ऐतिहासिक बताया। बैठक में सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने को लेकर सहमति बनी। नीतीश कुमार इसको अपनी उपलब्धि मान कर आगे के प्रयास में निकल पड़े हैं, लेकिन देखा जाये तो इस बैठक में राहुल गांधी के आगे ‘नतमस्तक’ होने के अलावा उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। दिल्ली की अधूरी सफलता के बाद आज देखना है कि नीतीश कुमार लखनऊ और कोलकाता से क्या लेकर वापस लौटते हैं।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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