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Nitish Mission:नीतीश कुमार की विपक्ष को एक साथ लाने की कोशिश भाजपा के लिए चुनौती! क्या विपक्षी एकजुटता बनेगी हकीकत?

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न्यूज़ डेस्क / समाचार प्लस, झारखंड- बिहार

Nitish Mission:बिहार के सीएम नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश(Nitish Mission) तो कर रहे हैं, लेकिन खुद पीएम का चेहरा बनने से इनकार करते रहे हैं.आरजेडी और उनकी पार्टी जेडीयू लगातार नीतीश को पीएम मटेरियल बता चुके हैं. नीतीश कुमार कांग्रेस के राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे और एनसीपी के शरद पवार सहित कम से कम 9 टॉप विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि वह यह भी कह रहे हैं कि इसमें उनका कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है. विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे नीतीश शनिवार को कर्नाटक में सिद्धारमैया के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद सीधे फिर दिल्ली पहुंच गए.

अभी तक इन नेताओं से कर चुके हैं मुलाकात

नीतीश कुमार अभी तक एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हरीश रावत, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के सीएम और टीआरएस नेता केसीआर से मिल चुके हैं.नीतीश कुमार इसके लिए एक के बाद एक, अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मिल रहे हैं.लेकिन ये मुलाकातें बस औपचारिकता ही रह जाएंगी या किसी ठोस नतीजे में बदलेंगी? 2014 और 2019 में भी विपक्ष को एकजुट करने की ऐसी ही कोशिश हुई थी, पर नाकाम हो गई.

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इसलिए अभियान में  लगे हैं 

नीतीश कुमार 17 साल से मुख्यमंत्री हैं और केंद्र में रेल मंत्री रह चुके हैं. विकल्पहीनता की स्थिति में नीतीश कुमार बेहतर विकल्प हो सकते हैं. (Nitish Mission) इसलिए नीतीश कुमार दावा करते रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में 50 से 100 सीटों के परिणाम उलट होते हैं, तो केंद्र में सत्ता बदल जाएगी. नीतीश कुमार अपने इसी अभियान में लगे हैं. इसे लक्ष्य कर वे बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और झारखंड में ज्यादा ध्यान फोकस कर रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन चार राज्यों में लोकसभा की 176 सीटें हैं. इनमें से अभी भाजपा के पास 108 सीटें हैं. नीतीश कुमार इसी को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं. लोकसभा की कुल 543 सीटों में भाजपा के 303 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए 272 सांसदों का होना जरूरी है. ऐसे में भाजपा के पास बहुमत से केवल 31 सांसद अधिक हैं.

क्या विपक्षी एकजुटता वास्तविकता में बदलेगी ?

विपक्षी एकता पर नीतीश कुमार (Nitish Mission)से  ममता बनर्जी और अखिलेश यादव सहमति जता चुके हैं. सिद्धांततः सभी विपक्षी दल बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए एकमत भी  नजर आ रहे हैं. लेकिन इसमें संशय भी कम नहीं है. ‘आप’ और समाजवादी पार्टी कांग्रेस को नहीं सुहाते, शरद पवार का भी अलग ही रुख है. पटनायक और नीतीश कुमार दोनों ही ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जनता दल से निकलकर अपनी पार्टी का गठन किया. ऐसे में पटनायक ने नीतीश से मुलाकात के बाद उन्हें अपना पुराना दोस्त बताया था  लेकिन पटनायक ने कहा कि नीतीश के साथ गठबंधन को लेकर उनकी कोई चर्चा नहीं हुई. इसके अगले दिन उन्होंने साफ कर दिया कि वे विपक्षी एकता की मुहिम में साथ नहीं आएंगे.  ऐसे में सबको साथ ला पाना कड़ी चुनौती है, क्योंकि विपक्ष में ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियां हैं. सबका अपने-अपने राज्यों में बोलबाला है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि क्षेत्रीय दल शायद ही गोलबंद होने को तैयार हो.क्योंकि जब बात बात टिकट बंटवारे की आएगी तो सीटों को लेकर बखेड़ा खड़ा होना तय है जो कि ‘विपक्षी एकता’ के लिए सबसे बड़ी बाधा होगी. बंगाल में वाम दल और ममता के बीच छत्तीस का आंकड़ा है.चुनाव को लेकर ममता और सीपीएम का साथ आना मुश्किल लग रहा है. कांग्रेस, जदयू समेत तमाम विपक्षी दल 2024 लोकसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि, ये कैसे होगा, हो पाएगा भी या नहीं? इससे भाजपा को नुकसान होगा या फायदा? ये सारे सवाल अभी सवाल ही हैं. 2019 को लेकर जो मैसेज दिया गया था, वो कारगर साबित नहीं हुआ. ऐसे में 2023 में फिर विपक्षी नेताओं का जमावड़ा 2024 में क्या कमाल दिखा पाएगा.

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पटना में हो सकती है विपक्षी दलों की बैठक

चर्चा ये भी है कि देशभर के विपक्षी नेताओं की बैठक बिहार की राजधानी पटना में हो सकती है.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी नेताओं की बैठक को लेकर भी बयान दे चुके हैं.  उन्होंने कहा कि कर्नाटक चुनाव होने दीजिए, इसके बाद तय होगा कि विपक्षी एकता को लेकर बैठक कहां होगी. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बहुत लोगों की राय है कि पटना में बैठक (Nitish Mission) हो, ये अच्छी बात है. बातचीत कर सबकुछ तय किया जाएगा.

 ये भी पढ़ें : कनार्टक में सिद्धारमैया सरकार ने ली शपथ, हेमंत सोरेन, राजेश ठाकुर भी रहे मौजूद

 

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