लग रहा है I.N.D.I.A. गठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। आम आदमी पार्टी के बिहार में चुनाव अकेले लड़ने के बयान के बाद अब नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा कह दिया है जो यह बता रहा है कि गठबंधन में उनके साथ ‘कुछ अच्छा’ नहीं हो रहा है। विपक्षी दलों के गठबंधन की शुरुआत करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का त्याग कर दिया था। तब उन्होंने कहा था कि वह प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौड़ में नहीं हैं। उनका ऐसा करने का मकसद यही था कि जो भी गठबंधन बने उसमें एकता बनी रहे। लेकिन अब नीतीश कुमार ने कन्वेनर भी नहीं बनने का बयान देकर सबको चौंका दिया है। राजनीतिक हलकों के लिए यह चौंकाने वाला बयान हो सकता है, लेकिन नीतीश कुमार के नजरिये से देखें तो यह उनके मन की पीड़ा प्रतीत होती है। उन्हें यह महसूस हो रहा है कि I.N.D.I.A. गठबंधन में उनके साथ ‘सही व्यवहार’ नहीं हो रहा है, जबकि गठबंधन में शामिल नेताओं में वह काफी वरिष्ठ नेता हैं। इसलिए जिस भी गठबंधन में वह हों, उसमें वह सम्मान के पूरे हकदार हैं। लेकिन ‘उपेक्षाओं’ से खिन्न होकर उन्हें आज कहना पड़ रहा है कि उन्हें कन्वेनर नहीं बनना है, उन्हें कोई पद नहीं चाहिए।
कन्वेनर पद के लिए अलापा जा रहा नया राग
बता दें, अभी कुछ दिनों पहले बिहार में जदयू के सहयोगी राजद सुप्रीम लालू प्रसाद यादव ने विपक्षी गठबंधन के कन्वेनर के लिए एक नया फॉर्मूल दिया था। लालू यादव ने I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए एक नहीं कई संयोजक बनाए जाने की बात कही थी। जबकि जदयू यह मान कर बैठा है कि जब मुम्बई में 31 अगस्त से बैठक शुरू होगी तब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का राष्ट्रीय संयोजक घोषित किया जा सकता है। लेकिन लालू प्रसाद यादव ने गोपालगंज के फुलवरिया में संवाददाताओं से बात करते कहते हुए संयोजक का अलग ही फार्मूला दे दिया। उन्होंने कहा था कि संयोजक की भूमिका पर कोई विवाद नहीं है। कोई भी I.N.D.I.A. गठबंधन का संयोजक बन सकता है। मगर अच्छा हो कि ऐसे दूसरे संयोजक भी बनाये जायें, जिन्हें चार-चार राज्य दिए जा सकते हैं। बता दें, लालू प्रसाद का यह फॉर्मूला जदयू का रास नहीं आया था। उसे लगा कि शायद लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते कि नीतीश कुमार या कोई और I.N.D.I.A. गठबंधन की बागडोर अपने हाथ में ले। एक लिहाज से उन्होंने (लालू) भी इशारा कर दिया कि वह भी संयोजक बनाये जाने वालों की कतार में हैं।
लालू यादव का फार्मूला जदयू को नामंजूर
लालू प्रसाद ने जो भी कहा, उसको सुनते ही जदयू के कान खड़े हो गये हैं। उसने अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने साफ-साफ कह दिया कि एक से अधिक संयोजक बनाने का कोई खास मतलब नहीं है। राज्यों के हिसाब से संयोजक होना एक अच्छा विचार है। एनडीए में भी ऐसा होता था। लालू जी की सोच चाहे जो हो, लेकिन किसी भी अहम मुद्दे पर उन्हें एकतरफा राय नहीं देनी चाहिए।
विपक्षी गठबंधन को नहीं भा रहे नीतीश कुमार!
सबसे बड़ी बात यह है कि I.N.D.I.A. गठबंधन का जदयू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अहम हिस्सा भले हो, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने विपक्षी दलों को नाराज कर दिया था। याद होगा 16 अगस्त को नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उनके स्मारक श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। इस दौरे में उन्हें विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी करनी थी, लेकिन कोशिश के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। कारण साफ है, अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक पर उनका जाना कुछ विपक्षी नेताओं को रास नहीं आया था। ऊपर से अब आया लालू प्रसाद का बयान, गठबंधन के बीच आ गयी कुछ-कुछ खटास को उजागर कर ही रहा है। ऊपर से भाजपा के साथ नीतीश के पुराने संबंधों विपक्षी दलों की आंखों में खटक रहे हैं। इसका असर अगर मुंबई की बैठक में दिख जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। कुल मिलाकर गठबंधन के अंदर की हवा नीतीश कुमार के पक्ष में नहीं है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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