2025 का नया ट्रेंड ‘माइक्रो-रिटायरमेंट’! काम का तनाव कम करने का नया तरीका!

दुनिया भर में नौकरी करने वालों के लिए तनाव कोई नयी बात नहीं है। कार्यस्थलों पर हर साल कुछ न कुछ नया होता ही है। नया होने का दूसरा मतलब है, काम का लोड बढ़ना और फिर मानसिक तनाव। मानसिक तनाव से कोई एक देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया जूझ रही है। इसका असर भी दिख रहा है। पिछले कुछ वर्षों से नौकरियों से हटाने ही नहीं, नौकरियां छोड़ने का भी चलन बढ़ा है। इसका सीधा कारण है तनाव। 2024 में चुपचाप नौकरी छोड़ने का चलन जहां दिखा, दावा किया जा रहा है कि 2025 में कुछ नया दिखने वाला है। यह ‘नया’ है कार्यस्थलों में ‘माइक्रो-रिटायरमेंट’। चौंक गये न। यह नया चलन शुरू भी हो चुका है और पूरी दुनिया में चर्चा का विषय भी बन गया है। दरअसल इसमें युवा कर्मचारी, अपने 9 से 5 बजे के शेड्यूल से कुछ समय के लिए आराम चाहते हैं। इस ‘आराम के दिनों’ में वे अपने कुछ शौक पूरे कर सकें। मगर इसका दूसरा प्रभाव भी है, इसका असर सीधे-सीधे कम्पनियों पर पड़ता है।

‘माइक्रो-रिटायरमेंट’ के बारे में क्या सोचते हैं युवा?

काम को लेकर कम्पनियों ने अपनी सोच बदली है तो काम की सोच को लेकर युवा भी बदल रहे हैं। काम के लिए हमेशा तेज-तर्रार नौकरी में प्रतिस्पर्धी बने रहने का दबाव युवाओं को महसूस होता था। छंटनी एक आम चिंता बन गयी है, ऐसे में खुद पर बढ़ते तनाव में युवा खुद को पाते हैं। ऐसा महसूस करते हुए कि उन्हें थकावट के बावजूद अपनी नौकरी को मजबूती से थामे रखना भी है। इस तनाब को कम करने का अपने 9 से 5 बजे के व्यस्त शेड्यूल से थोड़ा ब्रेक लेने वे फैसला ले रहे हैं। मगर “माइक्रो-रिटायरमेंट” ने  एक बहस भी छेड़ रखी है। मगर माइक्रो-रिटायरमेंट प्रवृत्ति को समझना होगा कि आखिर यह प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है?

‘माइक्रो-रिटायरमेंट’ को लेकर हो रहे सर्वेक्षण

2024 में किया गया मैकिन्से का प्रबंधन सर्वेक्षण बतलाता है, दुनिया भर में केवल 15% कर्मचारी ही काम में व्यस्त महसूस करते हैं। यह ‘माइक्रो-रिटायरमेंट’ की बढ़ती लोकप्रियता को एक मुकाबले के तंत्र के रूप में बढ़ावा दे रहा है। कार्यस्थल पर इस कम प्रेरणा के पीछे एक मुख्य कारण कार्यस्थल पर तनाव के लंबे समय तक संपर्क में रहना है, जो अक्सर बर्नआउट और थकावट की ओर ले जाता है। ऐसी ही स्थिति का सामना करने के कारण तंग समयसीमा और बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण ‘माइक्रो-रिटायरमेंट’ के बारे में सोचने लगते हैं।

‘माइक्रो-रिटायरमेंट’ के प्रमुख कारण

  • अक्सर देखा गया है कि कई कर्मचारी अपनी नौकरी से असंतुष्ट महसूस करते हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके पास यह सोचने का समय ही नहीं होता कि कौन-सा पेशा वास्तव में उनकी रुचियों के साथ मेल खाता है। एक छोटा-सा रिटायरमेंट लेना एक मूल्यवान विराम प्रदान करता है, घर्षण बेरोजगारी के समान, जो उन्हें अपनी भूमिकाओं का पुनर्मूल्यांकन करने और अपने जुनून से बेहतर मेल खाने वाले अवसरों का पता लगाने की विलासिता प्रदान करता है।
  • आजकल, कर्मचारी अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक जोर दे रहे हैं। स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाए रखने के लिए, कई लोग मिनी-रिटायरमेंट को सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं।
  • युवा कर्मचारी, विशेष रूप से जेन-जेड भौतिकवादी धन से अधिक अनुभव को महत्व देते हैं और अक्सर कॉर्पोरेट जिम्मेदारियों के लिए अपने शौक त्याग देते हैं। माइक्रो-रिटायरमेंट उन्हें अपने लक्ष्यों के अनुरूप अपने शौक को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

मिनी-रिटायरमेंट कर्मचारियों के कल्याण के लिए लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन वे संगठनों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां भी पेश करते हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार – प्लस – झारखंड-बिहार

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