न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड में कहीं कोई नया विवाद तो खड़ा नहीं होने वाला है! पूरे देश में जैन समाज सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र बनाये जाने का विरोध कर रहा है। इसको लेकर देश के कई हिस्सों में बड़े विरोध प्रदर्शन भी हुए। केन्द्र सरकार से लेकर झारखंड सरकार तक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया। केन्द्र सरकार ने अपने 2019 के गजट को वापस लेने का ऐलान कर जैसे-तैसे इस विवाद को खत्म करने का प्रयास किया ही था कि झारखंड के एक विधायक ने ‘पलीते में आग’ लगा दी है।
ईसा से 500 वर्षों से अधिक समय से जो सवाल नहीं उठा, वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि पार्श्वनाथ पर्वत शुरू से आदिवासियों की भूमि रही है। इसलिए जैन समुदाय का सम्मेद शिखर पर मालिकाना हक स्वीकार नहीं किया जाएगा। पूरे देश के आदिवासी इसका विरोध करेंगे।
लोबिन हेम्ब्रम ने पार्श्वनाथ की पहाड़ियों पर आदिवासियों के अधिकार को बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 25 जनवरी तक का समय दिया है। अन्यथा 30 जनवरी को उलिहातु, 2 फरवरी को भोगनाडीह में अपनी मांग को लेकर उपवास रखेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकारों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने के लिए 10 जनवरी को पार्श्वनाथ पर्वत पर इकट्ठा होंगे। कहीं, पार्श्वनाथ को येरुशलम बनाने का इंतजाम तो नहीं हो गया है?
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