बच्चे को मौत के मुँह से निकाल लाए धर्मशीला देवी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ ब्रजेश कुमार, परिजनों ने जताया आभार

डॉक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप कहे जाने का यह सही उदाहरण है। पकरीबरावां निवासी 6 वर्षीय बालक कार्तिक कुमार को जब धर्मशीला देवी हॉस्पिटल नवादा लाया गया तब उसकी हालत काफ़ी चिंतजानक थी और बच्चा बेहोशी की हालत मे था।

धर्मशीला देवी अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ ब्रजेश कुमार और उनकी टीम ने जब बच्चे की जाँच की तब पाया कि काफ़ी ऊंचाई से गिरने के कारण सर के अंदरूनी हिस्से मे गहरी चोट लगी थी जिससे बच्चा बेहोसी के हालत मे था।
डॉ ब्रजेश ने बताया कि तुरंत उन्होंने बच्चों के डॉक्टर्स की टीम और क्रिटिकल केयर के टीम के साथ बच्चे का सघन जाँच शुरू किया। जाँच मे पता चला कि सर के अंदरूनी हिस्से मे गहरी चोट के साथ बेहोशी के कारण मुँह का लार जो पेट मे जाता है वह फेफड़ो मे जा रहा था जिससे कि फेफड़ो मे पानी भर गया था। फेफड़ो मे पानी भरने के कारण ऑक्सीजन की मात्रा काफ़ी कम हो गई थी जिसे निमोनिया भी कहते हैं जो सीधा बच्चे के ब्रेन मे प्रभाव डाल रहा था। साथ ही बच्चा हाइपोक्सइक इंजूरी का भी शिकार था।

डॉ ब्रजेश ने जानकारी दी कि बच्चे के हालत को देखते हुए उसे तुरंत वेंटीलेटर पे डाला गया और बच्चे के सर पर लगी चोट के साथ निमोनिया का भी उपचार शुरू किया गया। तीन दिनों मे बच्चा वेंटीलेटर से बाहर आ गया और उसके सेहत मे तेज़ी से सुधार होने लगा। बच्चा अब बिलकुल स्वस्थ है और पहले कि तरह खेल कूद कर रहा है।

बच्चे के पिता भगवान दास ने बताया कि बच्चा छत पे खेल रहा था और अचानक छत से गिर गया। तुरंत उन्होंने बच्चे को पास के निजी क्लिनिक मे ले गए जहाँ बच्चे को इंजेक्शन दिया गया जिससे कि उसकी हालत और भो ख़राब हो गई। फिर वह बच्चे को पकरीबरावां सरकारी अस्पताल ले गये जहाँ उन्हें बच्चे को दूसरे शहर ले जाने को कहा गया। उन्होंने कहा कि बच्चे को धर्मशीला देवी अस्पताल लाने मे थोड़ा भी विलम्ब होता तो बच्चे को बचाना मुश्किल था। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर्स की काफ़ी सराहना की और कहा कि वो डॉक्टर्स के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उनके बच्चे को नयी जिंदगी दी है।

बच्चे के मामा सत्येंद्र राम ने कहा कि धर्मशीला देवी अस्पताल और उसके डॉक्टर्स कि जितनी तारीफ कि जाए कम है। उन्होंने कहा कि बच्चे को जिस हालत मे अस्पताल लाया गया था उन्हें उम्मीद नही थी कि बच्चा बच पायेगा।