आकाश कुमार मित्तल स्टारर हिंदी फिल्म ‘सेटलमेंट’ 18 अक्टूबर को देशभर में रिलीज हो रही है। विजय एंड टू स्टार एंटरटेनमेंट और मनोरमा पिक्चर्स के बैनर तले बनी फिल्म के अन्य कलाकार प्रिया पारसनाथ गुप्ता, पंकज सिन्हा, जितेंद्र वाडेर, करुणा सिंह, आर्ची, रंजीत बिहारी, शालिनी, प्रतीक जायसवाल, शैलेंद्र शर्मा, अमित श्रीवास्तव, प्रियांशु राज, हर्ष प्रसाद, स्वास्तिका शर्मा आदि हैं।
निर्माता विजय कुमार अग्रवाल, निर्देशक दिनेश शाहदेव, डीओपी पंकज गोस्वामी, आर्ट डायरेक्टर अविनाश कुमार, एडिटर सुमित सिन्हा हैं। सोना व स्नेहा के लिखे गीतों को संगीत से सजाया है सिद्धार्थ राय ने। स्वर दिया है प्रियांक राज शर्मा, दीपिका ठाकुर, पल्लवी श्रद्धा ने। कहानी दिनेश शाहदेव व विजय कुमार अग्रवाल ने लिखी है। कहानी जमीन माफियाओं से जुड़ी हैं, जिसमें भोल-भाले व शरीफ लोगों की जमीन हड़पने के लिए कैसे माफिया लगे रहते हैं। उसी से मुक्त कराने का एक सेटलमेंट ग्रुप है, जो अपने प्रयास से इस समस्या से निजात दिलाते हैं। फिल्म की पूरी शूटिंग झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य में की गई है। फिल्म में कॉमेडी, रोमांस व ड्रामा का पूरा डोज है। सभी कलाकार व तकनीशियन झारखंड-बिहार के ही हैं।
मैंने इस फिल्म से दिखाया कि शहर भले छोटा हो सकता है लेकिन अलग सोच से फिल्म बड़ी बनी: दिनेश शाहदेव
फिल्म के सारे कलाकार और तकनीशियन झारखंड-बिहार के हैं।
दिनेश शाहदेव
फिल्म की कलाकार करुणा सिंह ने बताया कि मैं फिल्म में अहम भूमिका निभाने के साथ कॉर्डिनेटर का काम भी कर रही हूं। आज गुरुवार को फिल्म का प्रीमियर पीवीआर सिनेमा में हो रहा है। इस शुक्रवार से देशभर में यह फिल्म रिलीज हो रही है। फिल्म की खासियत इसके सब्जेक्ट के साथ यहां के स्थानीय कलाकारों का काम भी है। झारखंड के खूबसूरत दृश्य देखकर सभी आश्चर्य करेंगे। हमें आशा है कि इस फिल्म के बाद यहां और फिल्मों की शूटिंग होगी।
फिल्म ‘सेटलमेंट’ के डायरेक्टर दिनेश शाहदेव कहते हैं कि झारखंड में बनी कोई फिल्म पैन इंडिया रिलीज हो तो यह बड़ी बात है। हमने दिखाया कि हमारा शहर रांची भले छोटा हो लेकिन अलग सोच से हम बड़ी फिल्म बना सकते हैं। मैं कांके रोड का रहने वाला हूं। संत जॉन्स व रांची कॉलेज से पढ़ाई के बाद मंुबई गया। वहां परमवीर चक्र, एयर होस्टेस, छपते-छपते, युगांतर, आहट जैसे धारावाहिक से अपना नाम बनाया। रवि चोपड़ा का धारावाहिक ‘औरत’ में काम कर रहा था, तभी मेरी पत्नी की तबीयत खराब हुई और मैं सब काम छोड़ रांची लौट आया। जब चतरा के रहने वाले प्रोड्यूसर विजय अग्रवाल ने मुझे यह फिल्म बनाने कहा तो मैंने मुंबई के कलाकारों की जगह स्थानीय कलाकारों को लिया। सारे तकनीशियन लोकल हैं। यहां तक कि डीओपी भी यहीं के हैं। हमने दिखा दिया है कि रांची में रहकर भी पैन इंडिया फिल्म बनाई जा सकती है।