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Mother’s day and jharkhand: झारखंड में कमजोर होती जा रही माताएं, आखिर क्यों?

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Mother’s day and jharkhand: आज दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जा रहा है। मां का वैसे तो हर दिन होता है, लेकिन मां की ममता और प्यार को सम्मान देने के लिए एक खास दिन होता है. लोग इस दिन अपनी मां को खास महसूस कराकर उन्हें यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनके जीवन में मां की क्या भूमिका है और वह भी मां से प्यार करते हैं। लेकिन आज कम उम्र में मां बनी अपने झारखंड राज्य की महिलाओं की स्थिति है, उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। आज उनके हलात पर बात करें (Mother’s day and jharkhand) तो एक चिंताजनक तस्वीर सामने उभरकर आती है। 2022 में जारी रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में 5.8 प्रतिशत बालिकाओं की 18 वर्ष से कम उम्र में शादी हो जाती है। झारखंड की बेटियों के लिए चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया द्वारा जारी डेमोग्राफिक सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में सबसे अधिक बालिकाओं की शादी कम उम्र में होती है। यहां अभी भी 5.8 प्रतिशत बालिकाओं की शादी 18 वर्ष से कम आयु में हो जाती है। पूरे देश में ऐसी बालिकाओं का प्रतिशत 1.9 है, जिनकी शादी वयस्क होने से पूर्व हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में पूरे देश के मुकाबले सबसे अधिक बालिकाओं की कम उम्र में शादी होती है।

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सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या बढ़ी हैं 

यह विडंबना ही कही जाएगी कि गरीबी लाचारी बेबसी के बीच जिदगी की जंग लड़ रहा समाज शिक्षा व जागरूकता के अभाव में जीवन को बर्बाद कर रहा है। तमाम कवायदों के बावजूद बाल विवाह जैसी कुप्रथा समाज में हावी है। नतीजा कुपोषण, नवजात शिशु मृत्यु, मातृत्व मृत्यु से समाज के लोगों छुटकारा को नहीं मिल पा रहा है। झारखंड में बाल – विवाह का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। कानूनों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से कम उम्र में शादी की जा रही है।बच्चियों का विवाह बाल्यावस्था में हो जाने के कारण उन्हें जीवनभर इसके परिणामों को झेलना पड़ रहा है। इसकी वजह से जहां उनके स्कूल जाने की सम्भावना तो घटी ही हैं। वहीं गर्भावस्था के चलते स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिमों का सामना भी करना पड़ रहा है। इससे न केवल मां,  बल्कि बच्चे की स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिलताओं और मृत्यु दर के जोखिम में वृद्धि होने की संभावना बनी रहती है। कम उम्र में विवाह की वजह से बच्चियां अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय से भी अलग-थलग पड़ती जा रही  हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी भारी असर पड़ रहा है।(Mother’s day and jharkhand)

झारखंड में किशाेरियाें की संख्या बढती ही जा रही है  

झारखंड राज्य की बात करें (Mother’s day and jharkhand) तो झारखंड में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की संख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 65 लाख है। एक गैर सरकारी संस्था असर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में भी किशोरियों के स्वास्थ्य की हालत ठीक नहीं है। राज्य की 67 फीसदी किशोरियां एनीमिया ग्रस्त है। यह आंकड़ा देशभर में सर्वाधिक है।यदि हम किशोरियों की शिक्षा की बात करें तो भी हालत बहुत अच्छी नहीं है। शिक्षा संबंधी रिपोर्ट के अनुसार 97 फीसदी लड़कियों का नामांकन होता है, लेकिन इनमें से 9 वी व दसवीं कक्षा में सिर्फ 25 फीसदी तथा 11वीं व 12वीं कक्षा में सिर्फ 14 प्रतिशत लड़कियां ही पहुंच पाती है । शिक्षा व स्वास्थ्य की बदतर हालत के अलावा लड़कियों को बाल विवाह जैसी कुरीतियां भी झेलनी पड़ती है। आंकड़ों पर गौर करें तो आज हमारा युवा पीढ़ी, खासकर लड़कियां जिसको हम बराबरी का दर्जा देने की बात करते उनका बचपन ही बीमार है। उनके शरीर में रक्त की कमी है। मासिक धर्म, गर्भधारण, स्तनपान व मैनोपॉज के दौरान उन्हें कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। ऐसी बालिकाओं को माता बनता देख दर्द होता है।

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