न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
दुनिया के 20 से अधिक देशों में मंकी पॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत भी सतर्क हो गया है। इसको लेकर केन्द्र सरकार ने दिशानिर्देश भी जारी कर दिया है। हालांकि, भारत में अभी मंकीपाक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। मंकी पॉक्स के मामले जहां आये हैं उनमें अमेरिका और यूरोप के कई देश शामिल हैं। मंकीपाक्स के दो सौ से ज्यादा मामले सामने आ जा चुके हैं। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी एडवाइजरी जारी कर चुका है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किया गया सतर्क
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकी पॉक्स के संभावित प्रसार को रोकने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी किये हैं। मंत्रालय ने कहा है कि भले ही देश में मंकी पाक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन गैर स्थानिक देशों में इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए तैयार रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसा कोई मामला सामने आने पर मरीज को तत्काल आइसोलेशन में रखने और संपर्क में आये लोगों के साथ क्या करना है, इसको लेकर जानकारी दी। संदिग्ध पाए जाने वाले मामलों के नमूने को जल्द से जल्द आइसीएनआर के पुणे स्थित एनआइवी प्रयोगशाला भेजने की व्यवस्था का भी निर्देश दिया।
क्या है मंकीपाक्स?
मंकीपाक्स चेचक की तरह दिखने वाला एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। हालांकि इसका पहला मामला 1958 में सामने तब आया था, जब इसके वायरस अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। चूंकि एक बार बंदर के बीच यह बीमारी फैली थी, इसलिए इसका नाम मंकीपाक्स रखा गया। मानव में मंकीपाक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। यह वायरस पाक्सविरिडे परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक रोग पैदा करने वाले वायरस भी शामिल हैं। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का माना जाता है।
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