मोदी सरकार जातीय जनगणना कराने को तैयार! ले सकती है बड़ा फैसला

इस समय देश में जातीय जनगणना कराये जाने का शोर मचा हुआ है। विपक्षी इंडी गठबंधन के दल तो जातीय जनगणना का शोर मचा ही रहे हैं, एनडीए गठबंधन में भी जातीय जनणना कराये जाने का दबाव बनाया जा रहा है। चूंकि इस बार मोदी सरकार इस स्थिति में नहीं कि वह अपने गठबंधन के दलों को नाराज कर पाये, इसलिए यह अनुमान भी लग रहा है और सूत्र भी बता रहे हैं कि मोदी सरकार जातीय जनगणना करा सकती है। मोदी सरकार के जातीय जनगणना कराये जाने के पीछे एक वजह तो यह है कि वह अपने सहयोगी दलों को नाराज नहीं करना चाहती, साथ ही वह विपक्षी दलों के हाथों से एक बड़ा मुद्दा भी छीन लेना चाहती है। क्योंकि जातीय जनगणना कराया जाना चाहिए या नहीं, यह एक ओर जहां राजनीतिक शिगूफा है, वहीं जाति की राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए वोट बैंक से जुड़ी पार्टियों के लिए यह एक दिखावा भी है कि उनके लिए वे काम कर रही हैं।

मोदी सरकार, जो अब 2011 के बाद अब तक नहीं हो पायी जनगणना की कड़ी को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, समझा जा रहा है कि जातिगत जनगणना कराने पर अहम फैसला ले सकती है। हो सकता है केन्द्र सरकार जनगणना के फॉर्म में जाति का कॉलम जोड़ सकती है। यहां यह भी ध्यान दिला दें कि एनडीए में शामिल जेडीयू और टीडीपी भी जातीय जनगणना कराये जाने की इच्छा जता चुके हैं, बीते दिनों आरएसएस ने कहा था कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में है। आरएसएस ने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा था कि जातिगत जनगणना कराने से सामाजिक योजनाएं बनाने में फायदा होगा। हालांकि आरएसएस ने यह जरूर कहा कि जातिगत जनगणना का इस्तेमाल राजनीतिक हित साधने के लिए नहीं होना चाहिए।

बता दें कि पिछले दिनों बिहार में नीतीश कुमार की सरकार जब राजद के साथ गठबंधन में थी तब उसने राज्य में जातीय जनगणना करायी थी, लेकिन उसने जितनी जल्दी जातीय जनगणना करायी और उसके नतीजे सार्वजनिक किये, उसमें कई विसंगतियों की सम्भावना है। हालांकि नीतीश सरकार की वह जातीय जनगणना अदालती पेंच में फंसी हुई है। कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना करवायी थी, लेकिन शायद राजनीतिक आशंकाओं के मद्देनजर उसके नतीजे उसने अब तक सार्वजनिक नहीं किये हैं। खैर, अगर मोदी सरकार अगर जातीय जनगणना कराने का फैसला लेती है, तो इससे यह तो जरूर होगा कि इसका श्रेय लेने के लिए पार्टियों में होड़ तो मच जायेगी, लेकिन उनके हाथों से एक बड़ा मुद्दा जरूर निकल जायेगा।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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