Electronic Census India: केन्द्र की मोदी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना कराने का फैसला लिया है। शायद सरकार का इरादा बार-बार जनगणना कराये जाने के झंझट से देश को मुक्त करना है। यह जानकारी सूत्रों के द्वारा नहीं, बल्कि खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार दिल्ली में जनगणना भवन का उद्घाटन करते हुए दी। शाह ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना में हर नागरिक डिजिटल तरीके से खुद अपना डेटा सरकार को देगा। बाद में इसका वेरिफिकेशन सरकारी अफसरों द्वारा कराया जायेगा। साथ ही अमित शाह ने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार एक बिल लाकर नागरिकों के फायदे के लिए जन्म और मृत्यु के आंकड़ों को वोटर लिस्ट तथा अन्य सरकारी योजनाओं से जोड़ेगी।
चुनाव आयोग भी करेगा इलेक्ट्रॉनिक डाटा का इस्तेमाल
गृहमंत्री ने भविष्य की योजना की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार के पास जो भी जन्म और मृत्यु का डाटा उपलब्ध होगा, उसका उपयोग चुनाव आयोग भी करेगा। सरकार से डाटा हासिल करके वह नये मतदाता का नाम लिस्ट में जोड़ेगा और उसे वोटर तक आईडी पहुंचा देगा। रजिस्ट्रेशन में दर्ज मृतकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने में भी चुनाव आयोग को आसानी होगी। इस तरह से चुनाव आयोग का लिस्ट भी हमेशा अपडेट रहेगी। जबकि आज कई मृतकों का नाम वर्षों तक चुनाव आयोग की लिस्ट में बना रह जाता है।
विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी मिलेगी मदद
इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना के लिए शोर मचा रहे हैं। उन्होंने हवाला दिया कि इससे विकास की योजनों को तैयार करने में मदद मिलेगी। हालांकि सभी जान चुके हैं कि नीतीश का ऐसा करने के पीछे सिर्फ राजनीतिक मकसद सिद्ध करना है। वहीं, गृहमंत्री ने कह रहे हैं कि डिजिटल जनसंख्या से विकास की योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी। सरकार के पास जन्म और मृत्यु का ताजा रजिस्ट्रेशन उपलब्ध रहेगा तो वह विकास का खाका भी आसानी से खींच सकेगी। इस तरह देखा जाए, तो पहली बार इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना कराने का मोदी सरकार का इरादा काफी अहम माना जा रहा है। शाह के अनुसार लोग अपने मोबाइल या कम्यूटर या किसी साइबर कैफे में जाकर सरकार को अपने और परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी दे सकेंगे।
डिजिटल जनगणना कराने के पीछे सरकार का मकसद
समझा जा सकता है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर तैयार करने के लिए डिजिटल जनगणना पर जोर दे रही है। माना जा रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना कराने से सरकार के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर तैयार करना भी आसान होगा। साथ ही अवैध घुसपैठियों की जानकारी भी सरकार को मिल सकेगी।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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