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मोदी सरकार को मिल गयी जाति जनगणना की काट, OBC Survey करेगा विपक्षी मंसूबों को ध्वस्त!

Modi government got the cut of caste census, will conduct OBC survey

बिहार के जातीय जनगणना की रिपोर्ट की भी खुलेगी पोल?

BJP OBC Survey: बिहार में जातीय जनगणा का शोर मचा, जातीय जनगणना भी हो गयी और जातिगत जनगणना की रिपोर्ट भी जारी कर दी गयी। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि उन्होंने चुनाव जीतने का बड़ा फॉर्मूला ढूंढ लिया है। लेकिन उन्होंने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उस पर सवाल भी उठ रहे हैं। उन पर आरोप लग रहे हैं कि खास वर्ग को खुश करने की नीयत से उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार करवायी है। चूंकि राजनीति चित और पट का खेल है, तो भला विपक्ष के दांव पर मोदी सरकार कैसे चुप रह सकती है। वह उससे भी बड़ा दांव चलने की तैयारी कर रही है। और उसका यह दांव होगा ओबीसी सर्वे।

हाल के दिनों के दो वाकये अगर अपको याद हों तो उससे भी यह अनुमान लग गया होगा कि जातीय जनगणना को लेकर मोदी सरकार के भी दिमाग में  कुछ चल रहा है। पहला वाक्य है, छत्तीसगढ़ की एक चुनावी सभा में केन्द्रीय गृहमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि केन्द्र सरकार को जातीय जनणना कराने से कोई परहेज नहीं है, लेकिन इस पर बहुत सोच-विचार कर निर्णय लेना होगा। सभी के साथ मिलकर, चर्चा करने के बाद जो उचित होगा उसे हम बतायेंगे। दूसरा वाकया, गृहमंत्री अमित शाह हाल ही में जब बिहार दौरे पर थे तब उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश सरकार पर हमला करते हुए उनकी सर्वे रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा था जिन जातियों से उन्हें फायदा है, उन्हें ज्यादा बता दिया जबकि पिछड़ी जातियों की संख्या को ही कम बता रहे हैं। यानी ओबीसी के मन में एक सवाल डाल दिया गया कि उनके साथ कुछ गलत हो चुका है।

अब जब विपक्ष जातीय जनगणना को लेकर कुछ ज्यादा ही संजीदा हो चुका है। देश की आजादी के बाद से जातीय सर्वे कराने की विरोधी रही कांग्रेस भी अब इस रेस में शामिल हो गयी है। अब कांग्रेस के भी नेता, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी विभिन्न मंचों पर जातीय जनगणना कराये जाने की बातें करने लगे हैं। कांग्रेस ने पांच राज्यों की विधानसभा के चुनावों में भी अब इसे अपने घोषणा-पत्रों में भी शामिल करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के साथ सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी जातिगत जनगणना का राग अलापने लगे हैं। तो इसकी पूरी सम्भावना है कि विपक्ष का जाति वाला यह राग लोकसभा चुनाव में भी गाया जायेगा। तो भला भाजपा क्यों पीछे रहे। सूत्र बता रहे हैं कि विपक्ष के जाति वाले मुद्दे की काट के तौर पर केंद्र की मोदी सरकार अब पिछड़ों के सर्वे का ऐलान कर सकती है। मोदी सरकार और बीजेपी का मानना है कि पिछड़ों के सर्वे का फैसला होने से विपक्ष का जाति वाला मुद्दा जोर का झटका लग सकता है। और अगर केन्द्र सरकार ऐसा करती है तो उसके सर्वे की जो रिपोर्ट आयेगी उससे बिहार में करायी गयी जातीय जनगणना की कलई भी खुल जायेगी। क्योंकि माना जा रहा है कि बिहार की जातीय जनगणना की  रिपोर्ट में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की संख्या कम करके दिखाई गई है। जबकि, यादव और मुस्लिम समुदाय के लोगों की तादाद बिहार के जातिगत सर्वे में ज्यादा है। बिहार की अपनी रैली में अमित शाह ने आरोप भी लगाया था कि बिहार के जातिगत सर्वे में अति पिछड़ा वर्ग की संख्या कम और यादव-मुस्लिम की संख्या ज्यादा इसलिए दिखाई गई, क्योंकि आरजेडी के लालू यादव को खुश करना था।

अब सवाल यह उठता है कि अगर ओबीसी सर्वे होता भी है तो इससे भाजपा को फायदा क्या होगा? उसको बीजेपी के ही एक वरिष्ठ नेता के शब्दों में समझा जा सकता है। उनके अनुसार, कांग्रेस लगातार जातिगत जनगणना की बात इसलिए करती है, क्योंकि उसे हिंदू वोटों को बांटना है। अगर बीजेपी विरोध करेगी, तो कांग्रेस को मुद्दा बनाने का मौका मिलेगा। जबकि, ओबीसी सर्वे का फैसला होने पर कांग्रेस हिंदुओं के वोट बांट नहीं सकेगी। विपक्षी पार्टियों के साथ यह सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि ओबीसी भाजपा की बहुत बड़ी ताकत है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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