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मिनी मोबाइल फोन बने जेलों में बंद खूंखार अपराधियों के बड़े हथियार, छोटे इतने कि सुरक्षा उपाय भी रह जाते धरे के धरे 

Mini mobile phones became big weapons of dreaded criminals in jails

मिनी मोबाइल फोन जेलों में बंद खूंखार अपराधियों के बड़े हथियार, छोटे इतने कि सुरक्षा उपाय भी रह जाते धरे के धरे

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

जेलों में बंद अपराधियों के द्वारा जेलों से ही अपना साम्राज्य चलाने की कहानियां आप खूब सुनने होंगे। जेलों में बंद ये अपराधी बाहरी दुनिया में घूम रहे अपने गुर्गों के सहारे तरह-तरह के तरीके अपना कर छोटे से लेकर बड़े अपराध को अंजाम देते रहते हैं। उनका खुलासा भी होता है, लेकिन इनका जेलों से हुकूमत चलाना बदस्तूर जारी है। अब तो इन अपराधियों की ‘सहायता’ करने के लिए एक ‘नया सामान’ भी आ गया है। इसे आसानी से छुपा कर जेलों तक पहुंचाया भी जा रहा है और ये अपराधी इसके सहारे आपराधिक घटनाएं भी कर रहे हैं। ये ‘नया सामान’ ऐसा है जो सुरक्षा उपायों को धोखा दे सकता है।

कई बड़े राज्यों का जेल प्रशासन मिनी मोबाइल से परेशान

अपराधियों के हाथ अब जो ‘हथियार’ लगा है, उससे कोई एक-दो राज्य नहीं, करीब-करीब पूरा देश परेशान है। बल्कि यूं कहें कि जेल प्रशासन की नींद भी खराब हो गयी है। यह चाइनीज मिनी मोबाइल फोन है जो जेल में बंद कैदियों तक आसानी से पहुंच जाता है। छोटा भी इतना की एक उंगली में समा जाये। अपराधियों तक यह फोन पहुंचा नहीं, कि उसके बाद शुरू हो जाता है, रंगदारी, मर्डर, हथियारों सप्लाई, ड्रग्स सप्लाई, यहां तक कि आतंकी घटनाओं का सिलसिला। ये फोन इतने छोटे हैं कि इन्हें निजी अंगों में छिपाकर कैदियों तक पहुंचाया जाता है। कभी-कभी एक से ज्यादा मिनी मोबाइल फोन बैरकों तक पहुंच जाते हैं। सर्च अभियानों के दौरान अपराधी इन्हें जेल के अंदर की दरारों में छुपा कर आंखों को धोखा दे देते हैं। यह मोबाइल 7 सेमी लम्बे और 3 सेमी चौड़े आकार के होते हैं। इसी से ही अंदाजा लग जाते है कि इन्हें कितनी आसानी से जेलों में पहुंचाया जा सकता है और जेलों में छुपाया जा सकता है। जिन राज्यों की जेलों में इन मिनी मोबाइल फोन को इस्तेमाल जेलों में बंद अपराधी कर  रहे हैं उनमें पंजाब प्रमुख राज्य है। पंजाब की जेलों से कई मिनी फोन समेत हजार मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।

आधुनिक युग में भी इस तरह के डिवाइस का जेलों तक पहुंच जाना भारतीय जेलों के आधुनिक नहीं होने के कारण ही है। भारतीय जेलों रेडियो फ्रीक्वेंसी और बॉडी स्कैनर जैसे सुरक्षा उपायों का घोर अभाव है। हाल-फिलहाल देश में हुए हाई प्रोफाइल अपराध जिनका संचालन जेलों से हुआ माना जाता है, जरूर उनमें ऐसे ही डिवास का सहारा लिया गया होगा।

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