Niti Aayog on Maternity Leave: महिलाओं को मैटरनिटी लीव कितनी मिलनी चाहिए। अक्सर इस पर चर्चा होती रहती है। अब मैटरनिटी लीव को लेकर एक बार फिर से खबरें आने लगी हैं। नीति आयोग का इस मामले में एक बड़ा बयान सामने आया है। ऐसे में देश भर की कामकाजी महिलाओं के मैटरनिटी लीव में इजाफा हो सकता है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा ने कि सरकारी और प्राइवेट संस्थानों को महिला कर्मचारियों के लिए मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) की अवधि छह महीने से बढ़ाकर नौ महीने करने पर विचार करना चाहिए।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry -FICCI) के महिला संगठन फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (FLO ) एक बयान जारी कर पॉल के हवाले से कहा कि प्राइवेट और सरकारी क्षेत्रों को मैटरनिटी लीव (Niti Aayog on Maternity Leave) को मौजूदा 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करना चाहिए। इसके लिए एक साथ बैठकर विचार करना चाहिए। बयान के मुताबिक, पॉल ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर को बच्चों की बेहतर परवरिश बनाए रखने के लिए और ज्यादा क्रैच (शिशु गृह) खोलने चाहिए। इसेक साथ ही उनकी और जरूरतमंद बुजुर्गों की पूरी तरह से देखभाल करने की व्यवस्था तैयार करने के आवश्यक कार्य में नीति आयोग की मदद करनी चाहिए। पॉल ने आगे कहा कि भविष्य में लाखों देखभाल करने वाले कर्मचारियों की जरूरत होगी। लिहाजा हमें अभी से ही व्यवस्थित सॉफ्ट और हार्ड स्किलिंग ट्रेनिंग देने का इंतजाम करना होगा।
वहीं फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (FLO) की अध्यक्ष सुधा शिवकुमार ने कहा कि ग्लोबल स्तर पर देखभाल की अर्थव्यवस्था (केयर इकोनॉमी) एक अहम सेक्टर है। जिसमें आर्थिक विकास, लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के मामले में अहम हैं। शिवकुमार ने कहा कि भारत में एक बड़ी खामी है कि हमारे पास केयर इकोनॉमी से जुड़े श्रमिकों की ठीक से पहचान करने की कोई सिस्टम नहीं है। अन्य देशों के मुकाबले में केयर इकोनॉमी पर भारत का सार्वजनिक खर्च बहुत कम है।
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