न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया मनायी जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन का काफी शुभ माना गया है। चूंकि इस दिन किये गये शुभ कार्यों की अक्षय फल की प्राप्ति होती है, इसलिए ही इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैशाख माह की यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है, इसलिए इस दिन बिना कोई पंचांग देखे मांगलिक कार्यों, जैसे- विवाह, गृह-प्रवेश, भूखण्ड, वाहन आदि की खरीदारी की जाती है। इतना ही नहीं, पुराणों के अनुसार, इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान का भी अक्षय फल प्राप्त होता है।
प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया के दिन पूरे भारत में या भारत से बाहर हिंदू बड़ी संख्या में विवाह करना पसंद करते हैं। भारत में तो इस दिन हजारों की संख्या में शहनाइयां बजती हैं। परन्तु इस वर्ष ऐसा नहीं होगा। मगर क्यों?
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहे जाने के कारण इस दिन विवाह के जैसे पवित्र बंधन में बंधने के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना गया है। मगर ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वर्षों बाद ऐसा संयोग बना है कि इस साल अक्षय तृतीया पर विवाह मुहूर्त नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि 27 अप्रैल तक गुरु अस्त हैं। इसी कारण इस वर्ष अक्षय तृतीया पर विवाह का संयोग नहीं बन पा रहा है। ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं इस बार गुरु तारा, जो कि मांगलिक कार्यों में सूचक माना जाता है, वह अस्त है। 30 मार्च को तारा अस्त हुआ था, जो 28 अप्रैल को उदय होगा। इसके बाद ही मांगलिक कार्य होंगे। इसी वजह से इस बार अक्षय तृतीया पर मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
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