न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
समलैंगिक ‘विवाह’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पक्ष और विपक्ष में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। एक पक्ष उसका समर्थन कर रहा है तो दूसरे पक्ष उसका विरोध कर भारतीय समाज के लिए इसे सही नहीं मान रहा है। अपनी केन्द्र सरकार भी इसे गलत मान रही है। अब सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट में इस ‘रिश्ते’ को मंजूरी मिलेगी या नहीं, इस पर सुनवाई जारी है। केन्द्र सरकार इसका विरोध तो कर ही रही है, चाहती है कि राज्य भी बतायें कि वे क्या चाहते हैं। केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर उनकी स्थिति की जानकारी मांगी है। केन्द्र सरकार ने 10 दिनों में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के का अनुरोध किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह सभी राज्यों को बतौर पार्टी इस मामले में शामिल करे।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार की सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने एक नया एफिडेविट फाइल किया जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस मामले में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पार्टी बनाया जाए। क्योंकि यह ऐसा मामला है जो राज्यों से जुड़ा है। हर राज्य की भौगोलिक के साथ सामाजिक स्थिति और सोच अलग है। अगर उन पर ऐसा रिश्ता थोप दिया गया तो वहां सामाजिक विषमता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी पार्टी बनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में पक्ष और विपक्ष में है कई याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक ‘विवाह’ के पक्ष में कई याचिकाएं जिस पर सुनवाई चल रही है। ऐसा नहीं है कि याचिकाएं सिर्फ पक्ष में ही कोर्ट में आयी हैं, विरोध करने वालों की कमी नहीं है। कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के विपक्ष में भी डाली गयी है। इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सबसे बड़ी बेंच सुनवाई कर रही है।
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