एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान कर दिया गया है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लगाई है. वहीं, एक दिन बाद विपक्ष ने भी उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेट अल्वा (Margaret Alva) होंगी.
उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं थीं
केंद्र में यूपीए की सरकार के दौरान 6 अगस्त 2009 को उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया. इसके बाद आगे चलकर उन्हें गुजरात, राजस्थान का राज्यपाल भी बनाया गया. किसी महिला की ओर से समाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किए गए अहम योगदान के लिए उन्हें 2012 में मर्सी रवि अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
केन्द्र सरकार में चार बार राज्यमंत्री रहीं
कांग्रेस पार्टी की महासचिव और सांसद रहने के साथ-साथ वे केन्द्र सरकार में चार बार राज्यमंत्री रहीं. एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की. महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा.
महिला-हितों के लिए भी लड़ाई लड़ी
केवल देश में में ही नहीं, समुद्र पार भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के लिए भी लड़ाई लड़ी. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहां के स्वाधीनता संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया. वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं.
कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ जन्म
मार्गरेट अल्वा का जन्म कर्नाटक के मैंगलोर में 14 अप्रैल को 1942 को एक रोमन कैथलिक परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई कर्नाटक में ही पूरी की. वह छात्र आंदोलनों में भी मुखरता के साथ भाग लेती थीं. मैंगलोर में बीए और फिर कानून की डिग्री लेने के बाद उन्होंने वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू कर दी. कई एनजीओ और वेलफेयर संस्थाओं के लिए उन्होंने वकालत की. बच्चों और महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाली एक संस्था ‘करुणा’ से भी वह जुड़ी रहीं.
सास-ससुर से प्रभावित हो राजनीति में प्रवेश किया
24 मई 1964 को उनकी शादी राज्यसभा की दूसरी उपसभापति रह चुकीं कांग्रेस नेत्री वायलेट अल्वा और जोआचिम अल्वा के बेटे थॉमस अल्वा से हुई. अपने सास-ससुर से प्रभावित होकर ही मार्गरेट ने राजनीति में प्रवेश किया.
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