न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
विश्व मलेरिया दिवस प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मलेरिया खत्म करने वाले कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए उपयुक्त उपकरणों के विस्तार और निरंतर निवेश को बढ़ाने का आह्वान करता है। फिर भी संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनियाभर में मलेरिया के बीस करोड़ से भी ज्यादा नए मामले दर्ज किए जाते हैं, जिनमें से कई लाख लोगों की मौत हो जाती है। हर साल मलेरिया से होने वाली लाखों लोगों की मौत को देखते हुए ही लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाने की शुरुआत की थी। इसके साथ ही लोगों, चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों को प्रेरित करन के लिए एक थीम बनायी जाती है। 2022 के लिए विश्व मलेरिया दिवस की थीम है ‘मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें’ जबकि 2021 की थीम ‘जीरो मलेरिया लक्ष्य की ओर बढ़ना है’।
मलेरिया की शुरुआत चीन से!
जिस तरह से यह माना जाता है कि कोरोना नामक महामारी की शुरुआत चीन से हुई थी, उसी तरह माना जाता है कि मलेरिया भी सबसे पहले चीन में पाया गया था, जहां गंदगी से यह बीमारी पनपने के कारण उस समय इसे ‘दलदली बुखार’ कहा जाता था। वैसे ‘मलेरिया’ इतालवी भाषा के शब्द ‘माला एरिया’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘बुरी हवा’। मलेरिया एनोफेलीज मादा मच्छर के काटने से होता है। प्लास्मोडियम परजीवी से संक्रमित मच्छर जब किसी को काटता है तो ये परजीवी मानव रक्त में प्रवेश करके लिवर तथा लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगते हैं और व्यक्ति को बीमार बना देते हैं। इस रोग की गंभीरता परजीवी पर ही निर्भर करती है।
गर्मी और मानसून के दौरान मच्छरों की संख्या बहुत बढ़ जाती है, इसलिए आमतौर पर मलेरिया इन्हीं मौसम में सबसे ज्यादा होता है। वैसे मलेरिया के मच्छर अधिकांशतः उन्हीं जगहों पर पनपते हैं, जहां गंदगी होती है या गंदा पानी जमा होता है। इसलिए मलेरिया की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि अपने घरों में तथा आसपास गंदगी और गंदा पानी एकत्र न होने दें।
पांच प्रकार का होता है मलेरिया
प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum): इससे पीड़ित व्यक्ति को मालूम ही नहीं चलता है कि वह क्या बोल रहा है। इसमें रोगी को बहुत तेज ठंड लगती है। इसके साथ-साथ उसके सिर में दर्द के साथ उसे उल्टियां भी होती रहती हैं। खास बात यह है कि इस बुखार में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
सोडियम विवैक्स (P. Vivax): अधिकतर लोग इस तरह के मलेरिया बुखार से पीड़ित होते हैं। विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय आता है। यह बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है जो प्रत्येक तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाता है। इस बीमारी में कमर, सिर, हाथ, पैरों में दर्द, भूख ना लगना, कंपकपी के साथ तेज बुखार का आना आदि लक्षण देखे जाते हैं।
प्लास्मोडियम ओवेल मलेरिया (Plasmodium ovale malaria): यह परजीवी प्रोटोज़ोआ की प्रजाति है। इसके कारण मनुष्य में टरसियन मलेरिया होता है। इसका प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम तथा प्लास्मोडियम विवैक्स से नजदीकी सबंध है जिनके कारण अधिकांश लोंगो को मलेरिया होता है। यह इन दो प्रजातियों के मुकाबले विरल है तथा प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम से कम खतरनाक है।
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malaria): प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। यह पूरे संसार में पाया जाता है। यह मलेरिया उतना खतरनाक नहीं होता है जितना प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स होते हैं। यह क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न करता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आता रहता है। जब किसी व्यक्ति को ये रोग होता है तो उसके यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं। जिसकी वजह से शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है।
प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi): यह आमतौर पर दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है। जिसके बाद सिर में दर्द, भूख ना लगना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2020 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में अनुमानित 24.1 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आए और 6,27,000 मलेरिया से मौतें हुईं। यह पिछले वर्ष (2019) की तुलना में लगभग 1.4 करोड़ मामले अधिक हैं जिसमें 69,000 मौतें अधिक हुई। लगभग दो-तिहाई अतिरिक्त मौतें (47 000) कोविड-19 महामारी के दौरान मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार के प्रावधान में व्यवधान के कारण हुई।
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