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अफ्रीकन यूनियन को जी-20 ग्रुप से जोड़ना पीएम मोदी की बड़ी कूटनीतिक जीत,  चीन को ऐसे दी पटखनी

शनिवार से दिल्ली में शुरू जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन कोमोरोस संघ के अध्यक्ष और अफ्रीकी संघ (AU) के अध्यक्ष अज़ाली असौमानी का जिस गर्मजोशी से पीएम मोदी ने स्वागत किया, वह पूरी दुनिया ने देखा। आज से अफ्रीकन यूनियन जी ग्रुप का स्थायी सदस्य हो गया। यानी अब यह ग्रुप जी-20 के स्थान पर जी-21 हो गया है। यह क्षण कोई साधारण क्षण नहीं है। इसने पूरी दुनिया में भारत की धाक जमा दी। भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 में अफ्रीकी यनियन को नया स्थायी सदस्य बनाया गया है। यह भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है। इसके बड़े वैश्विक कूटनीतिक मायने हैं। भारत की यह कूटनीतिक जीत कहीं न कही चीन को पच नहीं रही होगी।

बता दें, जी 20 के देशों में भारत के साथ चीन भी अफ्रीकन यूनियन को ‘जी ग्रुप’ में शामिल करने के समर्थन थे। लेकिन अफ्रीकी यूनियन को ‘जी ग्रुप’ में शामिल कराकर भारत ने बाजी मार ली है। भारत और चीन दोनों ही ‘ग्लोबल साउथ’ का नेतृत्व करना चाहते थे। ‘ग्लोबल साउथ’ से मतलब है, विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित देश, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं। इन देशों में उच्च स्तर की गरीबी, आय असमानता और जीवन स्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं। यही कारण है कि भारत के साथ चीन इन देशों का नेतृत्व कर वैश्विक स्तर पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते हैं।

अफ्रीकी यूनियन कुछ हद तक यूरोपियन यूनियन की तरह ही है। जो अफ्रीकी देशों के बीच एकजुटता बढ़ाने के मकसद से एक साथ आये हैं। यह यूनियन पूरे महाद्वीप में शांति, सुरक्षा और स्थिरता फैलाने के लिए भी काम करता है। पूरे महाद्वीप के आर्थिक विकास के लिए भी इस संगठन के नेता आपस में मिलकर काम करते हैं। इस यूनियन को भारत से बहुत आशाएं हैं और सबसे बड़ी बात यह कि जिस तरह से पूरे विश्व में पीएम मोदी की धाक जमी है, उससे भारत पर इस यूनियन का विश्वास बढ़ा है। अफ्रीकी यूनियन को साथ लाकर भारत ने भी 55 देशों के इस यूनियन का नेतृत्व करना भी भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। इस लिहाज से चीन ने एक बहुत बड़ा मौका गंवाया है। पीएम मोदी ने जिस गर्मजोशी के साथ यूनियन के अध्यक्ष अज़ाली असौमानी का स्वागत किया है, उसका भी अफ्रीकी देशों पर अलग ही प्रभाव पड़ेगा।

इसमें कोई शक नहीं है कि भारत इस बात का श्रेय ले सकता है कि उसकी मेजबानी में हुए जी-20 सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की सदस्यता दी गई है। 55 देशों के अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीकन यूनियन को जी-20 की सदस्यता दिलाने की कोशिश को भारत और चीन के बीच ‘ग्लोबल साउथ’ का नेता बनने की होड़ के तौर पर भी देखा जा रहा है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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