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मजबूरी में गायिका बनीं थीं Lata Mangeshkar, ऐसे तय किया स्वर कोकिला बनने का सफर

Lata Mangeshkar:  हिंदी सिनेमा और पूरे देश के लिए यह बेहद ही दुख की घड़ी है। बॉलीवुड में अपनी आवाज का जादू बिखेरकर देश दुनिया में लोगों के दिलों पर राज करने वाली लता मंगेशकर ने आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अपनी आवाज से करोड़ो लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली स्वर साम्राज्ञी लता जी ने हालात से मजबूर होकर गायकी में अपना करियर शुरू किया था।

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को पंडित दीनानाथ मंगेशकर के यहां हुआ था, जो खुद एक क्लासिकल गायक थे। इसलिए बचपन से ही लता जी गायकी के माहौल में पली-बड़ी थीं। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता जी से संगीत सीखना शुरु कर दिया था और वह अपने पिता जी द्वारा बनाए गए प्ले में भी भाग लिया करती थीं। लगभग 80 सालों तक इंडस्ट्री में अपनी आवाज दी।

दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने अपने करियर में सिर्फ हिंदी में ही नहीं बल्कि 36 क्षेत्रीय फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है और अगर बात करें हिंदी सिनेमा को तो उन्होंने हजार से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों के गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। लता जी ने कुल मिलाकर तकरीबन 30 हजार गाने गाए हैं। बॉलीवुड के इतने लंबे सफर में उन्होंने मधुबाला से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक के गानों में अपनी आवाज दी।

हालात से मजबूर होकर शुरू किया था गाना
लता जी अपने परिवार में सबसे बड़ी थी, ऐसे में जब 1942 में उनके पिता का निधन हो गया तो बड़ी संतान होने के नाते सारे परिवार का भार लता जी के कंधों पर आ गया। लता मंगेशकर के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने फिल्म बड़ी मां में किरदार निभाने का प्रस्ताव दिया, जिसके बाद लता मंगेशकर मुंबई आ गईं और यहीं पर उन्होंने उस्ताद अमान अली खान से हिंदुस्तानी संगीत सीखा। इसके बाद लता जी ने अपने करियर में कई लिजेंड्री म्यूजिक डायरेक्टर के साथ काम किया।

भारत रत्न से किया गया सम्मानित-
भारतीय सिनेमा में लता जी की आवाज ने जो जादू बिखेरा है, वह सदियों तक याद रखा जाएगा। शायद ही कोई हो जो उनके गाने न सुनना चाहता हो। लता जी की आवाज में के जादू की वजह से ही उन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने अपना करियर शुरू किया था और वसंत जोगलेकर की मराठी फिल्म किटी हसाल के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड किया था। साल 2001 में लता जी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

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