सरेंडर कर चुके हार्डकोर नक्सली कुंदन पाहन (Kundan Pahan) को बड़ी राहत मिली है. वर्ष 2008 में कुंदन पाहन (Kundan Pahan) के खिलाफ़ रांची के नामकुम थाना में पुलिस के साथ मुठभेड़ (encounter with police) के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
रांची सिविल कोर्ट (Ranchi Civil Court) के अपर न्याययुक्त 3 एम सी झा की कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान रांची पुलिस के द्वारा 5 गवाह प्रस्तुत किये गए. लेकिन पुलिस के 5 गवाह भी यह साबित नहीं कर पाए कि पुलिस पार्टी पर कुंदन पाहन के दस्ते ने ही गोलीबारी की थी. रांची सिविल कोर्ट ने उसे साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है.
कुंदन पर हत्या, डकैती सहित सैकड़ों आपराधिक मामले दर्ज हैं
कुंदन पाहन तमाड़ के पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. कुंदन पाहन ने 14 मई 2017 को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था. उस समय उसके सिर पर 15 लाख का इनाम था. आत्मसमर्पण के बाद 15 लाख रुपये के इनाम का चेक उसे दे दिया गया था.
सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार सहित छह पुलिसकर्मी और स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या का आरोप कुंदन पर है. इतना ही नहीं एक निजी बैंक के पांच करोड़ रुपये व एक किलो सोना लूटने में भी कुंदन पाहन आरोपित था.
कुंदन पाहन पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की हत्या समेत खूंटी में 50, रांची में 42, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 व गुमला में एक मामले दर्ज हैं. कुंदन 2000 में भाकपा माओवादी संगठन का सदस्य बना था। इसके बाद उसने ताबड़तोड़ घटनाओं को अंजाम दिया.
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