अरविन्द केजरीवाल ने खेली ‘आतिशी’ पारी! कहीं चम्पाई सोरेन की कहानी तो नहीं दोहरायेगी दिल्ली!

जेल से बाहर आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज शाम को अपने पद का त्याग कर देंगे। काफी जद्दोजहद के बाद केजरीवाल ने आखिरकार दिल्ली के नये मुख्यमंत्री का ऐलान भी कर दिया है। दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना बनेने जा रही हैं। आतिशी का मुख्यमंत्री के रूप में चयन से किसी को हैरान नहीं कर रहा है। कई राजनीतिक विशेषज्ञ तो पहले से कुछ नामों के साथ आतिशी के नाम की भी चर्चा दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रूप में कर रहे थे।

जैसा कि सभी जानते हैं कि अरविन्द केजरीवाल, जिन्होंने जेल में भी रह कर अपने मुख्यमंत्री पद का त्याग नहीं किया, का अचानक से ऐसा कैसे हृदय परिवर्तन हो गया कि वह अपना पद छोड़ कर अपनी कुर्सी किसी और को सौंपने को तैयार हो गये। चूंकि यह मामला अरविन्द केजरीवाल का है, इसलिए इसे इतनी सरलता से पचाया भी नहीं जा सकता। उनके मन में जरूर कुछ न कुछ चल रहा होगा। केजरीवाल के मन में फिलहाल दिल्ली का होने वाला अगला चुनाव है। वह नहीं चाहते कि किसी भी सूरत में सत्ता आप के हाथों से निकल कर भाजपा के हाथों में चली जाये। केजरीवाल, जो कि दिल्ली आबकारी नीति में हुए घोटाले के कारण जेल में कई महीने बंद थे, इसलिए उन्हें कहीं न कहीं यह लगता होगा कि इसका असर अगले चुनाव पर न पड़ सकता है। इसलिए खुद को बेदाग साबित करने के लिए उन्होंने यह दांव खेला होगा।

आतिशी के ऊपर ही दांव क्यों?

सवाल उठता है कि अरविन्द केजरीवाल ने आखिर आतिशी मार्लेना के ऊपर ही दांव क्यों खेला? हो सकता है अरविन्द केजरीवाल के मन में फिर से दिल्ली का सीएम बनने की इच्छा अब भी हो। ऐसा वह कह भी चुके हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता जब तक उन्हें ईमानदार घोषित नहीं कर देती वह और मनीष सिसोदिया अपने पद नहीं सम्भालेंगे। यानी मनीष सिसोदिया भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। वैसे तो पार्टी में कई नेता हैं जो न सिर्फ मुख्यमंत्री पद के काबिल हैं, बल्कि उन्होंने उम्मीदें भी पाल रखी थीं कि यह पद उन्हें ही मिलेगा। लेकिन आतिशी इसलिए बाजी मार गयीं, क्योंकि समझा जा रहा है कि वह अरविन्द केजरीवाल की ज्यादा भरोसेमंद हैं। अगर जरूरत पड़ी या फिर अगले चुनाव में आप फिर से सत्ता में आती है तो उन्हें अपना पद फिर से वापस लेने में परेशानी नहीं होगी। यहां एक और बात याद दिला दूं कि भाजपा ने दिल्ली में अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी कद्दावर नेता स्मृति ईरानी के मुख्यमंत्री का दावेदार बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। इसलिए केजरीवाल को यह भी लगता होगा कि स्मृति ईरानी के मुकाबले एक महिला मुख्यमंत्री को दावेदार बनाकर उतारना ज्यादा फायदेमंद होगा। पुरुष मुख्यमंत्री दावेदार के मुकाबले स्मृति ईरानी सहानुभूति बटोर ले जा सकती हैं।

कहीं झारखंड की कहानी तो नहीं दोहराई जायेगी दिल्ली में?

अब एक आशंका यह है कि क्या जैसा झारखंड में हुआ था, वैसा भविष्य में दिल्ली में तो नहीं दोहरा दिया जायेगा। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जेल गये थे। जेल जाने के पहले उन्होंने झामुमो के भरोसेमंद चम्पाई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया था। हेमंत जब जेल से बाहर आये तो चम्पाई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और हेमंत फिर से मुख्यमंत्री बन गये। इस घटनाक्रम ने चम्पाई सोरेन को आहत कर दिया और उन्होंने अपनी वर्षों पुरानी झामुमो पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। अगर दिल्ली में भी ऐसा हो तो इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

अन्ना हजारे ने अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफा पर क्या कहा?

अरविन्द केजरीवाल के इस्तीफा पर समाजसेवी ने एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा- ‘मैंने पहले ही अरविंद केजरीवाल को बताया था कि राजनीति में नहीं जाना, समाज की सेवा करना. इसी से तुम बड़े आदमी बन जाओगे। कई साल हम लोग साथ में रहे, उस वक्त मैं बार-बार कह रहा था कि राजनीति में नहीं जाना। समाज सेवा अपने जीवन में आनंद देती है। मैं आनंद में डूबे रहने वाला व्यक्ति हूं। आज जो होना था वो हो गया। उनके दिल में क्या है, मैं क्या जानता हूं।‘

नयी मुख्यमंत्री बनने जा रहीं आतिशी की उपलब्धियां

  • शिक्षा वर्कर: आतिशी ने शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार पर काम किया है।
  • आर्थिक सलाहकार: विधायक बनने से पहले आतिशी ने दिल्ली सरकार के आर्थिक मामलों में सलाहकार के रूप में काम किया।
  • राजनीतिक सलाहकार: आतिशी ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम किया।
  • सामाजिक कार्यकर्ता: आतिशी ने दिल्ली में विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ काम किया और गरीबों और वंचितों के लिए काम किया।
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्टडी: आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एम.एससी. की डिग्री प्राप्त की है।
  • मैग्सेसे अवार्ड विनर: आतिशी को 2016 में मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था उनके शिक्षा के क्षेत्र में काम के लिए।
  • आतिशी 2020 में चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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