Kargil Diwas Jharkhand: पूरे देश में आज कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Divas 2023) मनाया जा रहा है. 23 साल पहले आज ही के दिन सरहद पर भारत के वीर जवानों ने प्राणों की बाजी लगाकर पाकिस्तानी सेना से विजय हासिल की थी और कारगिल टाइगर हिल पर अपना तिरंगा लहराया था. आज इस मौके पर देशभर में वीर सपूतों को याद किया जा रहा है. इस युद्ध में बिहार के भी वीर जवानों ने सर्वोच्च बलिदान देकर अहम भूमिका निभाई थी.
वीरगति को प्राप्त हुआ था रांची का लाल नागेश्वर महतो
रांची के पिठोरिया में जन्मे वीर सपूत नागेश्वर महतो ने इस युद्ध में भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. संयुक्त बिहार में रांची के पिठोरिया में नागेश्वर महतो का जन्म साल 1961 में हुआ था. परिवार में पांच भाई और एक बहन है. नागेश्वर महतो भाइयों में चौथे स्थान पर थे. उनका पालन-पोषण भाइयों के साथ ही हुआ था.उनकी सेना में बहाली 29 अक्टूबर 1980 में हुई, सैन्य जीवन में उनको कई उपाधियां मिलीं. साल 1999 में जब कारगिल में भारत और पाकिस्तान की जंग छिड़ गयी. उस वक्त नायब सूबेदार नागेश्वर महतो की ड्यूटी टेक्निकल स्टाफ के तौर पर लगाई गयी थी. उन्हें कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले बोफोर्स तोप की जिम्मेदारी दी गई थी. इस लड़ाई में 13 जून 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से किए गए छल में नायब सूबेदार नागेश्वर महतो शहीद हुए.
गुमला ने अपने तीन वीर सपूत को खोया था
कारगिल युद्ध में सैकड़ों भारतीय सैनिकों ने जान गंवाई, उनमें से झारखंड (उस वक्त एकीकृत बिहार) रांची का वीर सपूत नायब सूबेदार नागेश्वर महतो, पाक सैनिकों से लोहा लेते हुए कारगिल की धरती पर अपनी शहादत दे दी थी। इस युद्ध में गुमला ने अपने तीन वीर सपूत को खोया था। हवलदार जॉन अगस्तुत एक्का, बिरसा उरांव और विश्राम मुंडा ने ऑपरेशन रक्षक के दौरान देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। वहीं पलामू के दो वीर शहीद हुए थे और उनका दाह संस्कार कश्मीर में ही हुआ था। साहिबगंज के शहीद जोनाथन मरांडी ने करारा जवाब दुश्मनों को दिया था। ऐसे ही झारखंड के कई वीर य़ोद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी।
जॉन अगस्तुस एक्का
रायडीह प्रखंड के परसा तेलेया गांव के रहने वाले जॉन अगस्तुस एक्का देश के लिए शहीद हुए, अगस्तुस लांस नायक से हवलदार रैंक तक गये थे। इस दौरान उन्हें चार मेडल मिले थे. उनका सपना दोनों बेटों को फौज में बड़ा अधिकारी बनाने का था।
बिरसा उरांव
सिसई प्रखंड के जतराटोली शहिजाना के बेर्री गांव के रहने वाले शहीद बिरसा उरांव कारगिल युद्ध में 2 सितंबर, 1999 को शहीद हुए थे। बिरसा उरांव हवलदार के पद पर बिहार रेजिमेंट में थे. उनकी बड़ी बेटी पूजा विभूति उरांव वर्ष 2019 में दारोगा के पद पर बहाल हुई है. शहीद को छह पुरस्कार मिले थे। सिसई प्रखंड के बरी जतराटोली निवासी शहीद बिरसा उरांव की शहादत पर परिवार को फक्र है। शहीद हवलदार बिरसा उरांव फर्स्ट बटालियन बिहार यूनिट के जवान थे। उन्हें उनकी वीरता के लिए कई सम्मान मिले। नगालैंड सम्मान सेवा, सैनिक सुरक्षा मेडल, संयुक्त राष्ट्र संघ से ओवरसीज मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से वह सम्मानित हुए।
विश्राम मुंडा
शहीद जॉन अगस्तुस एक्का और शहीद बिरसा उरांव की तरह ही विश्राम मुंडा भी देश की खातिर कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। आज भी इन तीनों शहीदों का नाम जिले में सम्मान के साथ लिया जाता है।
गोड्डा के वीरेंद्र महतो
कारगिल में लड़ते हुए गोड्डा जिले के धर्मोडीह गांव निवासी वीरेन्द्र महतो ने अपना सर्वोच्च बलिदान 24 जून को दिया था।
जोनाथन मरांडी ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्का छुड़ाए थे
साहिबगंज के जोनाथन मरांडी ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्का छुड़ाए थे। बिहार आर्मी के जवान जोनाथन ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों के समक्ष अपना लोहा मनवाते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था। हालांकि, इस युद्ध में जोनाथन मरांडी भी शहीद हुए थे।
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