2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब पूरे झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से सबसे रोमांचक मुकाबला खूंटी संसदीय क्षेत्र में हुआ था। कांग्रेस के साथ जबरदस्त मुकाबले में भाजपा के अर्जुन मुंडा विजयी हुए थे। अब जबकि भाजपा की ओर से अर्जुन मुंडा के नाम की घोषणा एक बार फिर से खूंटी के लिए हो गयी है तो उम्मीद की जाने लगी है कि एक बार फिर से इस सीट पर जबर्दस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। हालांकि केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद अर्जुन मुंडा को जिले के लिए अपने किये गये कार्यों के दम पर एक बार फिर से यहां से विजयी होने का भरोसा है, तो दूसरी ओर विपक्ष को यहां ईसाई वोटों के सहारे अपनी जीत सुनिश्चित होने की उम्मीद है। भाजपा ने तो खूंटी से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी, लेकिन अभी इंडी गठबंधन की ओर से यही तय करना बाकी है कि यहां से चुनाव कौन लड़ेगा। वैसे ज्यादा उम्मीद है कि खूंटी से एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार को भाजपा के मुकाबले उतरा जायेगा।
2019 में नजदीकी मुकाबले में हारे थे कांग्रेस के काली चरण मुंडा
2019 में खूंटी में मुंडा बनाम मुंडा मुकाबला हुआ था। भाजपा के टिकट पर जहां अर्जुन मुंडा मैदान में थे, वहीं कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को उनके मुकाबले में उतारा था। कांटे के संर्घष में कांग्रेस के काली चरण मुंडा से महज 1445 मतों के अंतर से हारे थे। अर्जुन मुंडा को जहां 3,82,638 वोट मिले थे, वहीं कालीचरण को 3,81,193 मत मिले थे। हार-जीत का यह अंतर बता रहा है कि इस बार भी जीत चाहे जिसकी हो, मुकाबला आसान नहीं होने वाला है।
कहीं कांग्रेस की दयामणि बारला तो नहीं उतरेंगी मैदान में?
खूंटी में इस बार भी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होने की उम्मीद है। भाजपा का उम्मीदवार तो तय है, गठबंधन में अगर कांग्रेस को खूंटी सीट मिलती है तो एक उम्मीद है कि इस सीट से विख्यात समाजसेवी और हाल में कांग्रेस में शामिल हुई दयामणि बारला को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। वैसे दयामणि बारला 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं। अगर दयामणि का किसी कारण से पत्ता कट जाता है तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू का भी एक बड़ा नाम कांग्रेस के पास है।
झामुमो भी खूंटी से उम्मीदवार उतारने का कर सकता है दावा
खूंटी से भाजपा के मुकाबले कौन उम्मीदवार मैदान में उतरेगा, यह फिलहाल एक अटकल भर है। ऐसा भी हो सकता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोंक सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस को खूंटी से लगातार हार मिली है, ऐसे में झामुमो की सोच यह है कि चुनावों में पराजय का मुंह देख चुकी कांग्रेस के बदले झामुमो को मौका मिलना चाहिए।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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