लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा, उसके पीछे कांग्रेस के सबसे बड़े सहयोगी बन कर उभरे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव। उनकी लायी गयी 37 सीटों और उनके सहयोग की बदौलत कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा के गढ़ में सेंधमारी कर ली। इंडी गठबंधन को देखा जाये तो दूसरे सहयोगियो ने कांग्रेस को निराश ही किया चाहे वह तेजस्वी यादव की राजद हो या केजरीवाल की आप हो। सबने निराश किया। झारखंड की बात करें तो खुद कांग्रेस का स्ट्राइक रेट उतना अच्छा नहीं रहा, लेकिन झामुमो यहां पर बाजी मार गया। झारखंड में कांग्रेस ने 7 सीटों पर चुनाव लड़कर मात्र दो सीटें ही जीत सका। लोहरदा से कांग्रेस के सुखदेश भगत और खूंटी से कालीचरण मुंडा जीत का परचम लहरा सके। दूसरी ओर झामुमो झारखंड में सिर्फ पांच सीटों पर ही लड़ी और उसने तीन सीटें झटक कर सबको अचम्भे में डाल दिया। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, जिन्होंने गांडेय का विधानसभा उप चुनाव भारी मतों से जीता है, का इस चुनावी सफलता में बड़ा योगदान रहा। कल्पना सोरेन के साथ मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने झारखंड के लोकसभा चुनाव का जिम्मा खुद अपने कंधों पर उठा रखा था, जिसका फल भी उन्हें मिला। झामुमो की इस सफलता की अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के के प्रदर्शन से तुलना करना तो बनता है। झामुमो 5 सीटों पर लड़कर 3 सीट जीतने में सफल रही, जबकि केजरीवाल की आप पंजाब में 13 और दिल्ली में 4 सीटों पर चुनाव लड़कर भी सिर्फ 3 ही सीट ला सकी। जबकि कुछ दिनों के लिए केजरीवाल ने जेल से बाहर आकर जो धुआंधार चुनाव प्रचार किया उसका भी उनकी पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला। इसलिए हो सकता है कि हो सकता है, आज झामुमो को यह अफसोस हो रहा हो कि उसने कांग्रेस को ज्यादा सीटें व्यर्थ में दी। जबकि झामुमो शुरू से कहती रही है कि झारखंड में वह बड़े भाई की भूमिका में है। हो सकता है कि अगर हेमंत सोरेन जेल से बाहर रहते तो शायद ऐसा ही होता।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: कुछ ऐसी रही लोकसभा चुनाव 2024 की दलीय स्थिति, टॉप थ्री में भाजपा, कांग्रेस, सपा