न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस झारखंड-बिहार
JMM Foundation Day 2022: झारखंड राज्य में सत्ता संभाल रही झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी (JMM ) आज अपना 43 वां स्थापना दिवस मना रही है.आइए जानते हैं पार्टी का अब तक का सफर और कैसे बनी यह पार्टी.
4 फरवरी 1973 को अस्तित्व में आई पार्टी
JMM जो एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है, जो आदिवासियों का नेतृत्व करने के रूप में जानी जाती है. इस पार्टी का गठन 4 फरवरी 1973 को धनबाद में हुआ था. पार्टी का चिन्ह धनुष-तीर है. शिबू सोरेन ने शिवाजी समाज के विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी. उस समय विनोद बिहारी महतो झामुमो के अध्यक्ष और शिबू सोरेन महासचिव बनाए गए. 1991 में मोर्चा के तत्कालीन अध्यक्ष विनोद बिहारी महतो के निधन के बाद शिबू सोरेन को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. झारखंड मुक्ति मोर्चा का झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में काफी अहम योगदान रहा है. 22 जुलाई 1997 को शिबू सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के आंदोलन के दबाव में ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बिहार विधानसभा से झारखंड बंटवारे का एक प्रस्ताव पारित कराया था.धनबाद में झामुमो की स्थापना के बाद झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने 2 फरवरी, 1977 को दुमका में दुमका जिला कमेटी गठित की थी. उसी दिन से दुमका में स्थापना दिवस मनाया जाता है.
ऐसे दिया जाता था न्योता
दुमका के शिकारीपाड़ा विधानसभा से लगातार छह बार विधायक और राज्य में कृषि मंत्री रहे नलिन सोरेन दो फरवरी के शुरुआती दिनों को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं. उनका कहना है कि पहली बार वर्ष 1977 में दुमका के एसपी कालेज में दो फरवरी को स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. उस वक्त संसाधनों की घोर कमी थी। पूरे संताल परगना में आवागमन की सुविधा भी नहीं थी. तब संचार तंत्र का भी कोई अता-पता नहीं होता था. ऐसे में ग्रामीणों को सूचना व न्यौता भेजने के लिए संताली परंपरा के तहत ढरुअ घुमाया जाता था. ग्रामीण हाटों में एक लंबा डंडा में हरे पत्तों को बांधकर संताल समुदाय के संदेश या निमंत्रण देने की परंपरा को ढरुअ के नाम से पुकारा जाता है. नलिन कहते हैं कि जब ढरुअ घुमाया जाता है तब ग्रामीण पूछते हैं कि कौन-सा संदेशा है. तब उन्हें संदेश के बारे में जानकारी दी जाती है. उस समय पार्टी सुप्रीमो इसी के जरिए ग्रामीणों के बीच संदेश भेजवाने की शुरुआत किए थे. कहा कि पहले स्थापना दिवस में गुरुजी का संदेश मिलने पर संताल परगना के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग एसपी कालेज मैदान में जुटे थे. परंपरागत वेशभूषा, ढोल व तीर-धनुष के साथ ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी।
हेमंत सोरेन की अगुवाई में लड़ा गया 2019 का विधानसभा चुनाव
पार्टी ने 2019 में विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन की अगुवाई में ही लड़ा और अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता हासिल कर ली. जेएमएम ने राज्य की 81 में से 30 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया और कांग्रेस एवं आरजेडी के साथ मिलकर कुल 47 सीटों के साथ गठबंधन की सरकार बनाई. आज की तारीख में हेमंत सोरेन के लिए जेएमएम के भीतर और कमोबेश राज्य में कांग्रेस और राजद को मिलाकर चल रही गठबंधन सरकार के अंदर भी कोई चुनौती नहीं है. हाल के महीनों में कांग्रेस के कई विधायकों ने कुछ मुद्दों पर सरकार के निर्णयों पर सवाल जरूर उठाए हैं, लेकिन गठबंधन में जेएमएम के मजबूत संख्याबल के चलते हेमंत सोरेन अपने निर्णयों पर अडिग हैं.
5 बार JMM को मिली सत्ता
15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य के निर्माण से लेकर अब तक राज्य में पांच बार सत्ता की कमान झामुमो यानी सोरेन परिवार के पास आई. वर्ष 2005, 2008 और 2009 में शिबू सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने थे, जबकि 2013-14 में हेमंत सोरेन पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. जेएमएम की अगुवाई वाली ये चारों सरकारें अल्पजीवी रहीं. कोई सरकार महज कुछ रोज का मेहमान रही, कोई छह महीने तो कोई 14 महीने तक चली. 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जेएमएम की अगुवाई में पांचवीं बार सरकार बनी और हेमंत सोरेन दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने. जेएमएम की ये अब तक की सबसे लंबी चलने वाली सरकार है.
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