न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड की कोयला खदानों से निकलने वाली मिथेन गैस अब अपने मजदूरों की जान नहीं लेगी, बल्कि देश की लाइफलाइन बनेगी। केन्द्र सरकार ने झारखंड की खदानों से निकलने वाली मिथेन गैस का बड़ा व्यावसायिक इस्तेमाल करने का बड़ा रोडमैप तैयार कर लिया है। झारखंड की मिथेन गैस को पाइप लाइन के जरिये देशभर के रसोईघरों तक पहुंचाने की तैयारी चल रही है। मतलब झारखंड की मिथेन गैस से देश के चूल्हों पर खाना पकेगा। यही नहीं इस गैस का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए होगा जो देश को रोशन करेगा। इस मिथेन को वाहनों का ईंधन बनाने की भी तैयारी हो गयी है।
केन्द्र सरकार की प्रथम चरण की योजना के अनुसार, झारखंड के तीन कोल ब्लॉकों झरिया, गोमिया और नॉर्थ कर्णपुरा से निकाली जानेवाली मिथेन गैस को अगले साल के अंत तक पाइपलाइन के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचने का काम शुरू कर दिया जायेगा। मिथेन गैस का इस्तेमाल बिजली उत्पादन, रसोई गैस और वाहनों के ईंधन के तौर पर होगा। उत्पादन के साथ वितरण का जिम्मा गुजरात की कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि. को मिला है। सीबीएम (कोल बेड मिथेन)-1 से मिथेन उत्पादन और वितरण के लिए गुजरात की कंपनी के साथ 30 वर्षों का करार हुआ है।
झरिया में बिछ चुकी है पाइप लाइन
झारखंड स्थित तीनों कोल ब्लॉक में उत्पादन की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। शुरुआत बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के मुनीडीह प्रक्षेत्र के झरिया से हो रही है। मुनीडीह से 8 किमी की दूरी पर यह पाइपलाइन बिछायी जा चुकी है। यहां से निकलने वाली गैस को पाइपलाइन के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया जायेगा।
झारखंड समेत छह राज्यों के 15 ब्लॉक की पहचान
मिथेन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने प्रथम चरण में छह राज्यों में कोल बेड मिथेन के साढ़े आठ हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले 15 ब्लॉक की पहचान की है। इनमें से तीन ब्लॉक झारखंड में हैं। झारखंड के कोल ब्लॉक का क्षेत्रफल 503.11 वर्ग किमी है। 2023-24 तक सीबीएम (कोल बेड मिथेन) से 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य है।
राजस्व में होगी बढ़ोतरी – बीसीसीएल
बीसीसीएल भी मानता है कि यह परियोजना वृहत्तर परियोजनाओं में से एक है। मिथेन के उत्पादन और विपणन से कंपनी के राजस्व में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी ही। यही नहीं, मिथेन गैस से खानों में होने वाली दुर्घटनाओं पर भी रोक लगेगी। क्योंकि मिथेन गैस के दोहन से खदानों में गैस का रिसाव बंद होगा, जिससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी।
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