न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, पुरुलिया के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो और गोमिया के विधायक डॉ. लंबोदर महतो मंगलवार को नयी दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले और उन्हें झारखंड में चल रहे भाषा विवाद समेत कई अनियमितताओं से अवगत कराया। नेताओं ने इससे संबंधित ज्ञापन भी राष्ट्रपति को दिये।
नेताओं ने सबसे पहले झारखंड में चल रहे भाषा विवाद की ओर राष्ट्रपति का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने बोकारो व धनबाद जिलों में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी, मगही को शामिल किये जाने पर आपत्ति जतायी जबकि अन्य जिलों में मैथिली एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची में डाल दिये जाने की बात बतायी। नेताओं ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि भोजपुरी, मैथिली तथा अन्य भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाकर झारखंड की 9 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल कराया जाये।
नेताओं ने इसके बाद टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया। नेताओं ने राष्ट्रपति को बताया कि झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में 1913 से 1931 की अधिसूचना में टोटेमिक कुड़मी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल थे, मगर 1950 में राजनीति कारणों से उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया गया।
नेताओं ने झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) में व्याप्त अनियमितताओं को भी राष्ट्रपति के सामने उजागर किया। उन्होंने बताया कि सातवीं से लेकर दसवीं जेपीएससी में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई।
नेताओं ने ओबीसी जाति के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण से संबंधित एक ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंपा। नेताओं ने बताया कि झारखंड में पिछड़ी जाति की आबादी 55 फीसदी है। ऐसे में पिछड़ी जाति को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना ही चाहिए।
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