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Jharkhand: भारी बारिश से बढ़ा जल-जमाव और डेंगू का खतरा, ये पौधे लगायें-मच्छरों को दूर भगायें

Jharkhand: Water logging and dengue risk increased due to rain, plant trees to drive away mosquitoes

झारखंड में इन दिनों लगातार हो रही बारिश से जल जमाव भी खूब हो रहा है। इससे राज्य में पहले से पैर पसार चुके डेंगू के खतरे को दोगुना होने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। अभी जिस तरह से बारिश हो रही है उससे हमारे आस-पास और जहां-तहां पानी का जमाव खूब हो रहा है। चूंकि बारिश लगातार हो रही है, इससे जहां जल जमा है, वहां मच्छरों के पनपने का खतरा फिलहाल तो नहीं है, लेकिन बारिश रुकने के बाद जहां भी जमा पानी जमा हुआ पड़ा रह जायेगा, वहां मच्छरों के पनपने का खतरा बढ़ जायेगा। जिससे मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के पनपने की सम्भावना बढ़ जायेगी। क्योंकि ठहरे हुए पानी में ही मच्छर लार्वा देते हैं और फिर उनसे मच्छर और मच्छर जनित  रोगों का खतरा उत्पन्न होता है। झारखंड में अभी जो बारिश हो रही है, उससे पहले ही राज्य में डेंगू का खतरा उत्पन्न हो चुका है। राज्य में हजारों की संख्या में डेंगू के मरीज पहले ही सामने आ चुके हैं। अगर राज्य के लोगों ने अभी लापरवाही बरती तो यह खतरा और भी बढ़ सकता है। इसलिए हमारी थोड़ी-सी सावधानी हमें किसी भी सम्भावित खतरे से बचाये रख सकती है।

थोड़ी-सी सावधानी से डेंगू के खतरे को किया जा सकता है बचाव

‘सावधानी ही बचाव है’, यह कहावत तो हम सबको पता है। चाहे मलेरिया हो या डेंगू या चिगनगुनिया, सभी रोगों से खुद को बचाया जा सकता है। रांची के विख्यात चिकित्सक आरके जायसवाल बताते हैं कि मच्छरों का प्रकोप बरसात के दिनों में ज्यादा होता है। इसका सीधा सम्बंध हमारे आस-पास ठहरा हुआ पानी होता है। जिस पर हम अक्सर ध्यान नहीं देते। लेकिन टूटे-फूटे बर्तनों, घड़ों, गमलों में जमा पानी में मच्छरों को पनपने के लिए स्वर्ग होता है। इन्हीं ठहरे और बहुत दिनों से ठहरे पानी में मच्छर अपना लार्वा देते हैं और इससे मच्छर पनपते हैं और रोगों के फैलने का कारण बनते हैं। अगर हम अपने आस-पास साफ सफाई रखें, पानी को जमा न होने दें, अगर घर में कूलर है तो उसका पानी भी नियमित रूप से बदलते रहें। कूलर में अगर पानी है तो उसमें थोड़ा-सा केरोसिन डाल दें इससे मच्छर नहीं पनपते हैं। घर की पानी की टंकी को खुला नहीं छोड़ें, क्योंकि यहां भी मच्छर पनप सकते हैं। खास तौर पर उस मौसम में जब मच्छर जनित रोगों का खतरा ज्यादा हो ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर का ज्यादा हिस्सा ढंका रहे। सोते समय चादर का प्रयोग करें। मच्छरदानी का प्रयोग करते हैं तो यह और भी बेहतर है। मलेरिया या डेंगू की थोड़ी भी सम्भावना महसूस हो तो बचाव का उपाय अवश्य करें। स्थिति बिगड़ने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना ज्यादा श्रेयस्कर होगा।

कुछ पारम्परिक उपायों से भी मच्छरों को घर से रख सकते हैं दूर

वर्षों से प्रचलित और कुछ पारम्पिक उपाय भी हमें मच्छरों को अपने आसपास पनपने देने से बचाते हैं। ये उपाय हम कुछ पौधों को अपने घर में या छत पर लगाकर मच्छरों को दूर भगा सकते हैं। हो सकता है ये उपाय पूरी तरह कारगर न हों, लेकिन इस पौधों को मच्छर और मच्छर जनित रोगों के लिए कारगर माना जा सकता है।

गेंदे का पौधा – माना जाता है कि गेंदे के फूल की महक मच्छरों को पसंद नहीं है। अगर घर में या छत पर गमलों में गेंदे के पौधे लगे हों तो ये मच्छरों के साथ दूसरे कीड़े-मकोड़ों को भी दूर रखते हैं।

रोजमेरी – रोजमेरी के पौधे गर्मी में उगने वाला पौधा है। यह पौधा भी मच्छरों को दूर रखने में कारगर है।

कैटनिप – रिसर्च बताता है कि कैटनिप मच्छरों को भगाने में DEET (एक प्रभावकारी कीट प्रतिरोधी) से दस गुना ज्यादा असरदार है। धूप में उगने वाला यह पौधा मच्छरों को भगाने में ज्यादा कारगर है।

नीम – नीम का पौधा एंटीसेप्टिक होता है, यह सभी जानते हैं। कीड़े मकोड़े और मच्छर इसके आसपास नहीं पनपते हैं।

पपीता – रिसर्च बताता है कि पपीते को मच्छरों को उत्पन्न होने से रोकने में काफी कारगर पाया गया है। पपीते की पत्तियों का रस और इसकी गोलियों की मांग बनी रहती है, क्योंकि यह कथित तौर पर प्लेटलेट काउंट में गिरावट को बढ़ाता है। गुजरात विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम पपीते को लेकर मच्छरों के जीवन चक्र पर रिसर्च कर रही है। घर में अगर जगह है तो वहां पपीता लगाया जा सकता है। इसके अलावा छत पर भी गमलों में पपीता लगाया जा सकता है।

इनके अलावा लेमन ग्रास, लैवेंडर, तुलसी, लहसुन के पौधों को भी मच्छरों का दुश्मन माना जाता है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इन पौधों को लगा सकते हैं।

डेंगू के क्या हैं लक्षण

अब हमें यह भी जान लेना चाहिए कि ऐसे कौन-से लक्षण होते हैं जिससे हम यह समझ सकें की डेंगू का संक्रमण हो चुका है। ताकि उससे बचने के उपाय किये जा सकें। डेंगू बुखार एक कष्टदायक, शरीर को दुर्बल करने वाला मच्छर जनित रोग है। डेंगू बुखार के लक्षण, आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं और 10 दिनों तक रहते हैं। इसलिए ये लक्षण सामने आने पर सावधान हो जायें-

  • अचानक तेज बुखार (105 डिग्री)
  • गंभीर सिरदर्द
  • आंखों के पीछे दर्द
  • गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
  • थकान
  • जी मिचलाना
  • उल्टी आना
  • दस्त होना
  • त्वचा पर लाल चकत्ते
  • हल्का रक्तस्राव (जैसे नाक से खून बहना, मसूड़ों से खून आना)

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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