समाचार प्लस
Breaking झारखण्ड देश फीचर्ड न्यूज़ स्लाइडर राँची

jharkhand Sthaniya Niti Bill: राज्यपाल ने लौटाया 1932 आधारित स्थानीय नीति विधयेक

image source : social media

jharkhand Sthaniya Niti Bill: राज्यपाल (jharkhand governor) ने विधानसभा से पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधयेक 2022 (1932 Khatian based local policy bill 2022) को वापस कर दिया है. राज्यपाल ने कहा है कि सरकार इस विधेयक (jharkhand Sthaniya Niti Bill) की वैधानिकता की समीक्षा करें कि यह संविधान के अनुरूप एवं उच्च न्यायालय के आदेशों और निर्देशों के अनुरूप हो. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करें कि यह संविधान के अनुरूप एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों व निदेशों के अनुरूप हो।

गौरतलब है कि  यह अधिनियम राज्यपाल के अनुमोदन तथा राष्ट्रपति की सहमति हेतु प्रेषित करने का अनुरोध राज्य सरकार द्वारा प्राप्त हुआ था। इस अधिनयम के अनुसार, स्थानीय व्यक्ति का अर्थ झारखंड का अधिवास (डोमिसाइल) होगा जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा के भीतर रहता है और उसका या उसके पूर्वज का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण / खतियान में दर्ज है। इसमें उल्लेख है कि इस अधिनियम के तहत पहचाने गए स्थानीय व्यक्ति ही राज्य के वर्ग-3 और 4 के विरुद्ध नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।

संविधान की धारा 16 में नियोजन के मामले में समान अधिकार

उक्त विधेयक की समीक्षा के क्रम में स्पष्ट पाया गया है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है। संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियाँ प्रदत्त हैं कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (A) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं। राज्य विधानमंडल को यह शक्ति प्राप्त नहीं है।

नियोजन के मामले में शर्तें लगाने का अधिकार सिर्फ भारतीय संसद को 

ए.वी.एस. नरसिम्हा राव एवं अन्य बनाम आंध्र प्रदेश एवं अन्य (AIR 1970 SC422) में भी स्पष्ट व्याख्या की गई है कि नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार मात्र भारतीय संसद में ही निहित है। इस प्रकार यह विधेयक संविधान के प्रावधान तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश के विपरीत है। झारखंड राज्य के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र है जो पाँचवीं अनुसूची के तहत आच्छादित होता है। उक्त क्षेत्रों में शत प्रतिशत स्थानीय व्यक्तियों को नियोजन में आरक्षण देने के विषय पर उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक बेंच द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जा चुका है। उक्त आदेश में भी उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में नियुक्तियों की शर्तों लगाने के राज्यपाल में निहित शक्तियों को भी संविधान की धारा 16 के विपरीत घोषित किया गया था। सत्यजीत कुमार बनाम झारखण्ड राज्य के मामले में भी पुनः सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में राज्य द्वारा दिये गए शत प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया गया था।

प्रावधान संविधान के इन अनुच्छेदों के प्रतिकूल 

ज्ञात हो कि विधि विभाग द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि प्रश्नगत विधेयक के प्रावधान संविधान एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के विपरीत है और कहा गया है कि ऐसा प्रावधान माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा पारित संदर्भित कतिपय न्याय-निर्णय/न्यायादेश के अनुरूप नहीं है। साथ ही ऐसा प्रावधान स्पष्टतः भारतीय संविधान के भाग III के अनुच्छेद 14, 15, 16 (2) में प्रदत्त मूल अधिकार से असंगत व प्रतिकूल प्रभाव रखने वाला प्रतीत होता है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 से भी प्रभावित होगा तथा अनावश्यक वाद-विवादों को जन्म देगा।

“विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा कर लें”

राज्यपाल ने इस विधेयक को राज्य सरकार को यह कहते हुए वापस किया कि वे विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा कर लें, विधेयक संविधान एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुरूप हो।

 ये भी पढ़ें : Odisha Minister Shot: अब मंत्री भी महफूज नहीं! पुलिस की सुरक्षा पर उठे सवाल

Related posts

Jharkhand: गणतंत्र दिवस पर रहेगी नक्सलियों पर नकेल, राज्य की सीमाएं सील

Pramod Kumar

सिंदरी विधायक Indrajit Mahto के बेटे ने की आत्महत्या, पुलिस मामले की जांच में जुटी

Manoj Singh

Jharkhand: रांची में एक युवक ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या

Pramod Kumar