न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड हाईकोर्ट के मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और करीबियों को माइनिंग लीज आवंटित किए जाने के मामले की सुनवाई हुई। आजकी सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब दाखिल किया गया। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि माइनिंग लीज आवंटित किए जाने का एक मामले पहले ही सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुका है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 जून की तारीख तय की है। कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर रिजाइंडर दाखिल करने के लिए समय की मांग की गयी थी। बता दें, हाई कोर्ट के अधिवक्ता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील महतो ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। उसी पर आज यह सुनवाई हुई।
खनन पट्टा का क्या है मामला?
मामला रांची के अनगड़ा में खनन पट्टा आवंटन से जुड़ा हुआ है। 2008 में झारखंड के खान विभाग के मंत्री रहते हुए उनके पर आरोप है कि उन्हें अपने नाम पर और अपने करीबियों के नाम पर खान पट्टा आवंटित किया है। इस सम्बंध में कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी है। कोर्ट में सरकार की ओर से पहले भी इस पर अपना पक्ष रखा जा चुका है। जब सीएम हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा था तब चुनाव आयोग को भेजे गये नोटिस में हेमंत सोरेन ने जवाब देते हुए यह स्वीकार किया था कि साल 2008 में 10 साल के लिए उन्हें खनन लीज मिला था। जिसे साल 2018 में रिन्यूअल नहीं किया गया। साल 2021 में उन्हें खदान की लीज तो फिर मिली, लेकिन काम करने की मंजूरी नहीं मिल पायी। इसके बाद 4 फरवरी 2022 को उन्होंने लीज को सरेंडर कर दिया। चूंकि खनन विभाग हेमंत सोरेन के ही पास है और इसी वजह से इस विवाद में वह ज्यादा घिरे हुए हैं।
यह भी पढ़ें: Jharkhand: तारा शाहदेव धर्मांतरण मामले में सीएम हेमंत की ओर से हुई गवाही, कोर्ट में हुआ क्या?