मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि झारखंड सचिवालय के सहायक और निजी सहायकों के छठे वेतनमान को लेकर बढ़े वेतन को लेकर एक अक्टूबर 2019 में जारी किए गए संकल्प को निरस्त कर दिया गया। इस संबंध में एजी ने संकल्प में त्रुटि पाई थी और सरकार से इसमें संशोधन करने का अनुरोध किया था। इसके बाद मामले में वित्त विभाग ने संकल्प जारी कर 13 अगस्त 2014 को इसे निरस्त करने का निर्णय लिया था। इस मामले में वित्त विभाग ने पाया कि छठे रिवाइज वेतनमान को एक जनवरी 2006 के पूर्व से पदस्थापित झारखंड सचिवालय के सहायक और निजी सहायक के कर्मियों के वेतन निर्धारण के लिए न्यूनतम वेतन 18460 रुपये देने का निर्णय असंगत है। इस वजह से विभाग ने इससे संबंधित संकल्प को निरस्त करने की अनुशंसा सरकार से की थी। इन कर्मियों को भुगतान की गई अधिक राशि को समान किश्तों में वापस करनी होगी।
अब सरकार के इस फैसला का विरोध झारखंड सचिवालय सेवा संघ ने किया है। संघ का कहना है कि इससे दोनों संवर्ग के कर्मियों को आर्थिक क्षति होगी। यह किसी भी हालत में ठीक नहीं है। संघ के अध्यक्ष ध्रुव प्रसाद ने कहा कि इस मामले से सरकार को अवगत कराया जायेगा। बताया जायेगा कि इससे बड़ी संख्या में अधिकारी प्रभावित होंगे। संघ का कहना है कि इस तरह का फैसला कर्मियों के हित में नहीं है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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