न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
कांके के विधायक समरी लाल की विधायकी अब मुश्किल में आ गयी है। अनुसूचित क्षेत्र कांके से विजयी भाजपा उम्मीदवार समरी लाल के राजस्थान की अनुसूचित जाति का होते हुए झारखंड से चुनाव लड़ने का आरोप है। इस मामले के विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो के अनुमोदन के बाद राज्यपाल रमेश बैस ने इसे चुनाव आयोग को भेज दिया किया। इसका मतलब हुआ कि राज्यपाल को भी लगता है कि समरी लाल का मामला सुनवाई योग्य है। अब अगर चुनाव आयोग समरी लाल पर लगे आरोप को सही पाता हो तो उनकी विधायकी का जाना तय है।
बता दें, तत्कालीन भाजपा विधायक जीतू चरण राम के स्थान पर कांके विधानसभा क्षेत्र से 2019 भाजपा की सीट से चुनाव लड़ने वाले समरीलाल ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश बैठा को हराकर चुनाव जीता था। 2019 समरीलाल ने सुरेश बैठा को पटखनी देते हुए 22540 मतों से हराया था। समरी लाल को 111975 और सुरेश बैठा को 89435 वोट मिले थे। लगभग दो वर्ष गुजर जाने के बाद झारखंड कांग्रेस की ओर से उनके जाति-प्रमाण-पत्र पर सवाल उठाया था। इसके बाद रांची और बड़गाई अंचल के अंचलाधिकारी की रिपोर्ट और जाति छानबीन समिति के अनुसार समरी लाल राजस्थान से आकर यहां बसे हैं और वह वहां की अनुसूचित जाति से है। इसके बाद 2009 में जारी किये गये उनके जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया था।
हाई कोर्ट में 29 जून को होनी है सुनवाई
बता दें, अपने जाति प्रमाण को रद्द किये जाने के मामले को लेकर समरी लाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई भी हो चुकी है। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने शिकायतकर्ता सुरेश बैठा को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 29 जून तय की है।
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