न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
2016 के राज्यसभा चुनाव की तुलना में इस बार भाजपा को एक सीट का नुकसान होने जा रहा है, जाहिर है इसका फायदा सत्ता पर काबिज झामुमो-कांग्रेस को मिलेगा। राजनीतिक गणित में राज्यसभा की दो सीटों में भाजपा के एक चेहरे का राज्यसभा में जाना तय है, इसलिए बची हुई एक सीट के लिए झामुमो और कांग्रेस में रस्साकशी चल रही है। गठबंधन धर्म का हवाला देते हुए कांग्रेस झामुमो पर अपना ही प्रत्याशी राज्यसभा भेजना चाह रही है। जबकि झामुमो नेता चाह रहे हैं कि राज्यसभा में उनका ही प्रत्याशी जाये। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन से किस दल का प्रत्याशी राज्यसभा में जायेगा।कांग्रेस नेताओं की दलील यह भी है कि पिछली बार शिबू सोरेन को गठबंधन ने राज्यसभा भेजने का काम किया था इसलिए इस बार कांग्रेस का दावा बनता है। वैसे सत्ता पक्ष के पास राज्यसभा में एक ही सदस्य को भेजने का विकल्प है, लेकिन कांग्रेस के पांच-छह उम्मीदवार अपना दावा ठोंक रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, झारखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय और पहले भी राज्यसभा उम्मीदवार रह चुके शहजाद अनवर सभी राज्यसभा जाने के लिए कतार में हैं।
राजनीतिक उलझनों में उलझे झामुमो ने फिलहाल अपना पत्ता भी नहीं खोला है, लेकिन कांग्रेस को अपना उम्मीदवार राज्यसभा में भेजने की ज्यादा बेचैनी लगी है। राज्यसभा चुनाव की जब से घोषणा हुई है तब से कांग्रेस राज्यसभा की एक सीट पर दावा ठोंकने लगी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिल कर कांग्रेस ने अपनी मंशा जाहिर भी कर दी है। झारखंड दौरे पर पाये झारखंड के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कांग्रेस नेताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास पर सीएम हेमंत से मुलाकात की और राज्यसभा में अपना प्रत्याशी भेजने की मंशा भी जता दी।
झारखंड में मौजूदा सियासी उठापटक कारण 10 जून को होने वाले चुनाव के लिए झामुमो, भाजपा व कांग्रेस किसी ने भी अब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। लेकिन अपने प्रत्याशी को लेकर झामुमो और कांग्रेस में रस्साकशी जरूर चल रही है। भाजपा के प्रत्याशी का सस्पेंस राजस्थान में चल रही पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक के बाद टूटेगा। इसी बैठक में तय होगा कि भाजपा का कौन चेहरा राज्यसभा में नजर आयेगा। 19-21 मई तक जयपुर में होने वाली तीन दिवसीय राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में झारखंड समेत अन्य राज्यों के राज्यसभा प्रत्याशियों पर सहमति बन जाएगी।
फिर भी भाजपा से सबसे ऊपर रघुवर दास का नाम चल रहा है। रघुवर केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व की पहली पसंद बताए जा रहे हैं। रघुवर के इनकार के बाद ही भाजपा नेतृत्व में किसी दूसरे उम्मीदवार के नाम पर विचार करेगा। वैसे रघुवर के करीबी बता रहे हैं कि राज्यसभा प्रत्याशी बनने में उनकी कोई रुचि नहीं है। हालांकि नेतृत्व का दबाव पड़ने पर वे इनकार की स्थिति में नहीं रहेंगे। भाजपा से कुछ नाम हैं, जो राज्यसभा प्रत्याशी हो सकेत हैं। उनमें महेश पोद्दार, आदित्य साहु, प्रदीप वर्मा के भी नाम शामिल हैं, लेकिन इन पर विचार रघुवर दास के इनकार के बाद ही किया जाएगा।
कांग्रेस को अपना प्रत्याशी देने की क्यों है हड़बड़ी
कांग्रेस का जिस तरह से पूरे देश में जनाधार गिरता जा रहा है। लोकसभा के साथ राज्यसभा में भी उसके सदस्यों की संख्या घटती जा रही है, ऐसे में वह अपने कैंडिडेट सदन में भेजने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि झारखंड से कांग्रेस को उम्मीदवार बनाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पैरवी किया जाने की खबरें भी आ रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में झामुमो क्यों अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना चाहेगी। आज जब राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बन गयी हैं कि यहां कभी भी कोई भी ‘राजनीतिक खेला’ हो सकता है, कोई भी नया समीकरण बन सकता है, ऐसे में झामुमो क्या ऐसा कोई काम करना चाहेगा जिससे बाद में उसके पास हाथ मलने की नौबत आ जाये?
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