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पैरा थ्रोबॉल में भारत के स्वर्ण पदक में झारखण्ड के खिलाड़ियों का जलवा

Jharkhand players shine in India's gold medal in para throwball

पुरुष और महिला दोनों  वर्गों में भारत ने जीता स्वर्ण पदक

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

भारत और नेपाल पैरा थ्रोबॉल श्रृंखला 19 और 20 फरवरी को काठमांडू, नेपाल में आयोजित की गई। भारत की पुरुष  दल ने 4-2 और महिला दल ने  4–1 से जीत दर्ज की।  प्रतियोगिता का आयोजन पैरालंपिक कमेटी ऑफ नेपाल, खेल विभाग द्वारा  किया गया था।

भारतीय पुरुष टीम के कप्तान सोमा कुमार और झारखंड के  खिलाड़ी मुकेश कंचन , पवन लकड़ा , चंदन लोहरा ने  बेहतरीन प्रदर्शन किया। चंदन लोहरा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए।  विदित हो कि यह आयोजन चेन्नई में 3 से 8 मार्च 2023 तक होने वाली प्री एशियन पैरा थ्रोबॉल चैंपियनशिप की तैयारी के लिए किया गया था ।

भारतीय दल में शामिल झारखण्ड के खिलाड़ियों के आज रांची वापसी पर भारतीय पैरा खेल समर्थक एवं भारतीय पैरा थ्रो बॉल के अध्यक्ष अल्बर्ट प्रेम कुमार, सचिव मंजूनाथ, पैरा ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ झारखंड के अध्यक्ष श्री राहुल मेहता , झारखंड डिसएबल क्रिकेट एसोसिएशन की सचिव सरिता सिन्हा, झारखंड दिव्यांग पार्टी के अध्यक्ष डॉ शमशेर आलम राही, अनिल उरांव, गोंडा उरांव एवं मिसिर गोंडा के पार्षद पार्षद नकुल तिर्की, पतरस तिर्की,  अंतू तिर्की , विकास कुमार,  जगदीश सिंह जग्गू,  जेएसएलपीएस गुमला के कर्मीएवं पदाधिकारीगण ने खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए  शुभकामना दिया।

 संघर्ष से पाई मंजिल

अनिता तिर्की

रांची शहर के कांके रोड मिसिर गोंदा निवासी दिव्यांग अनिता तिर्की अपने विधवा माँ के 8साथ रहती है । अनिता के पिता के देहांत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी अनिता पर आ गई। अनिता अपने एवं अपने माँ का जीवन गुजर बसर कांके के प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स का काम करके करती है। अनीता को बचपन से खेल में दिलचस्पी थी लेकिन दिव्यांग होने के कारण उसे अपने मन को मार का रहना पड़ता था। झारखण्ड पैरा ओलिम्पिक एसोसिएशन के व्यवस्थापक मुकेश कंचन के संपर्क में आते ही उनकी तम्मना जाग उठी और अपने काम और दिनचर्या के बीच समय निकाल कर प्रत्येक सप्ताह मोराबादी स्टेडियम में सिटिंग थ्रो बॉल एवं वॉली बॉल का अभ्यास प्रारंभ किया। संघर्ष रंग लाया और वह राष्ट्रीय टीम में चुनी गई।  इनके कोच मुकेश कंचन को इनके खूबी को देखते हुए इनका नाम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भेजा। नेपाल में आयोजित प्रतियोगिता में अनिता का प्रदर्शन श्रेष्ठ रहा और भारत को जीत हासिल करवाया।

 

असुंता टोप्पो

गुमला के चैनपुर-छतरपुर की निवासी दिव्यांग असुंता टोप्पो के माता पिता की मृत्यु बचपन मे ही हो गई थी। थोड़ी बहुत पुस्तैनी जमीन की आमदनी और विकलांगता पेंशन से अपना गुजारा करने वाली असुंता ने संघर्ष कर के BA तक की पढाई पूरी की पर पैसे की कमी के कारण  B.Ed  करने का सपना अधूरा ही रह गया।  खेल के प्रति जुनून और मेहनत से भारत की पैरा थ्रो बॉल टीम मे अपनी जगह बनाई तथा बिना किसी सरकारी सहारे के अपनी थोड़ी बहुत जमा पूंजी एवं कुछ पैसा अपने दोस्तों से उधार लेकर नेपाल बनाम भारत अंतरराष्ट्रीय पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। और अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शन से भारत को जीत हासिल करवाया और गोल्ड मेडल दिलवाया।

 

 तारामनी लकड़ा

रांची के चान्हो प्रखंड के चमरंगा की तारामणि लकड़ा के माता पिता खेती बारी कर अपने दिव्यांग बच्ची को पढ़ाया लिखाया। तारामणि प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स का काम कर अपने माता पिता का सहारा एवं अपना जीवन गुजार बसर करती है । कोच मुकेश कंचन के प्रेरणा और मार्गदर्शन से उसने साबित कर दिया की वह किसी से कम नहीं।

 

 

 

 

 

महिमा उरांव

महिमा उरांव पिता सिमोन उरांव,  माता सुशांति ग्राम गांव सोहदाग, बगीचा टोली जिला रांची की रहने वाली है। महिमा अभी डोरंडा कॉलेज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है। पढ़ाई के खर्च को पूरा करने के लिए गांव में सिलाई का काम भी करती है। 2018 महिमा का  पैरा ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ झारखंड द्वारा चयन हुआ। इस दौरान उसने पैरा वॉलीबॉल में ब्रांज मेडल और थ्रोबॉल में सिल्वर मेडल जीता ।

 

 

 

 

 

प्रतिमा तिर्की

रांची शहर के कांके रोड मिसिर गोंदा के निवासी प्रतिमा तिर्की एक आत्मनिर्भर दिव्यांग खिलाड़ी है ।पिता के देंहन्त के बाद  इन्होंने अपनी पूरी शिक्षा अपने दम पर BA एवं MA भूगोल बिषय में पूर्ण की। आज प्रतिमा आत्मनिर्भर होकर अपना व्यवसाय पर अपनी जीविका  चला रही है । शिक्षा के क्रम से ही इन्हें खेल में बहुत दिलचस्पी थी लेकिन दिव्यांग होने के कारण सभी जगहों से निराश का सामना करना पड़ा। लेकिन इनकी मुलाकात इनके कोच मुकेश कंचन से हुई एवं उनसे खेल के बारे में जिक्र किया गया और उनके कोच मुकेश कंचन प्रतिमा तिर्की एवं एक सहयोगी को प्रशिक्षण के लिए राजस्थान भेज कर पूरी तकनीकी जानकारी हसिल करवाये। प्रत्येक सप्ताह प्रतिमा अपना समय निकाल कर रांची के मोरबादी में सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुद प्रशिक्षण प्राप्त करती एवं साथ मे अपने सहयोगी को प्रशिक्षण देती है । सन 2017 से 2019 तक रास्ट्रीय स्तर पैरा खेल में शामिल हुई और प्रतिमा के कप्तानी में झारखंड को कांस्य पदक 2019 में हासिल करवाई एवं पिछले साल दिसंबर 2022 के महिला वर्ग में अनिता तिर्की के कप्तानी में सिल्वर पदक हासिल किया गया था। बीते दिन 19 और 20 फरवरी 2024 को नेपाल के काठमांडू में आयोजित अंतरास्ट्रीय पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता आयोजन किया गया था जिसमे नेपाल और भारत के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। नीलामी रॉय के कप्तानी में प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में अपना योगदान दिया और भारत को जीत हासिल करवाया। इस लिए प्रतिमा अपने कोच मुकेश कंचन को प्रेरणादायक मानती है।

पवन लकड़ा

लोहरदगा के कुरु निवासी दिव्यांग पवन लकड़ा अपनी पूरी शिक्षा कलकत्ता एवं रांची में हासिल कर आज जे एस एल पी एस गुमला के कामडरा प्रखण्ड में प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक के पद पर अपना योगदान पिछले 4 सालों से देते आ रहे है। लेकिन पवन को बचपन से खेल अति प्रेम था बचपन मे पैरा जूनियर स्तर के खेल में अनेक पदक हासिल कर चुके थे । लेकिन परिवार के आर्थिक परिस्थितयो के कारण खेल से दूर हो गए थे । सन 2017 में कोच सह परम मित्र मुकेश कंचन से मुलाकात हुई और उन्होंने पैरा खेल में जोड़ कर प्रशिक्षण दिया।  बीते दिन 19 और 20 फरवरी 2023 को नेपाल के काठमांडू में आयोजित अंतरास्ट्रीय पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता आयोजन किया गया था जिसमे नेपाल और भारत के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। सोमा कुमार के कप्तानी में पवन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में अपना योगदान दिया और भारत को जीत हासिल करवाया। इस लिए पवन अपने कोच मुकेश कंचन को प्रेरणादायक मानते है।

 

चंदन लोहरा

चंदन लोहरा माता संगीता देवी अभिभावक के रूप में उसकी नानी पियसो देवी गांव महावीर नगर खलारी जिला रांची का निवासी हैं।  अभी चंदन स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी पढ़ाई की शुरुआत उत्क्रमित मध्य विद्यालय महावीर नगर ऊपर टोला , खलारी से हुई| चंदन ने बताया कि उनकी खेल की शुरुआत नवोदय विद्यालय से हुई वहां से उन्होंने बहुत सारे खेलों की प्रारंभिक शिक्षा ली।  चंदन मानते हैं कि यहां तक पहुंचने में उसके माता, नाना  और नानी और मुकेश कंचन का का आशीर्वाद  और मार्गदर्शन है|

मुकेश कंचन

जिंदगी के प्रारंभिक थपेड़ों ने कुछ नया कर गुजरने का हौसला दिया। परिवार और जुझारू साथियों के बदौलत यह जुनून में परिवर्तित हो गया। क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने और भारतीय दिव्यांगजन क्रिकेट टीम का नेतृत्व करने के पश्चात इन्होंने सरिता सिन्हा और राहुल मेहता के साथ झारखंड में पैरा ओलंपिक एसोसिएशन का गठन कर दिव्यांगजनों के लिए सीटिंग वॉलीबॉल, फेंसिंग, सेटिंग थ्रोबॉल, व्हीलचेयर क्रिकेट, महिला क्रिकेट आदि को बढ़ावा देने का प्रयास किया। मुकेश बताते हैं कि संसाधन के नाम पर कुछ भी नहीं था पर एक विश्वास था कि दिव्यांगजनों को अवसर मिले तो वह भी बुलंदी छू सकते हैं और इसी विश्वास ने उन्हें आज इस स्तर तक पहुंचाया साथ ही दूसरे दिव्यांग साथियों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाई।

झारखंड पारा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने उम्मीद जताई के सरकारी पदाधिकारियों की नजर इन दिव्यांग खिलाड़ियों के उपलब्धियों पर भी जाएगी और उन्हें उचित मान-सम्मान और प्रोत्साहन दिया जाएगा।

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