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Jharkhand: अफीम की खेती बनी खूंटी का नासूर, पुलिस के भरोसे खात्मा नामुमकिन, सफेदपोशों ने क्यों पहन रखी हैं चूड़ियां?

Khunti Opium Farming

झारखंड के खूंटी से ज्योत्सना की रिपोर्ट/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

नक्सली और उग्रवादी गतिविधियों के लिए सुर्खियों में रहने वाला खूंटी जिला अब अवैध अफीम की खेती को लेकर फिर सुर्खियां बटोरने के कगार पर है। खूंटी के जंगल, झाड़ियों और पहाड़ियों के बीच भारी पैमाने पर अवैध अफीम की खेती की गयी है। जंगलों और झाड़ियों के बीच जिधर आपकी नजर जाएगी वहां आपको अफीम ही अफीम नजर आएंगे। कहीं गुलाबी तो कहीं सफेद फूलों के बीच अफीम के फलों से अब खेती करने वाले ग्रामीण चीरा लगाकर अफीम निकालने के लिए तैयार हैं। सूरज उगने से पूर्व ही अफीम के फलों में धारदार ब्लेड से चीरा लगाकर बूंद-बूंद गीला अफीम एकत्रित किया जाता है। अफीम के एकत्र होने के बाद इन इलाकों में अफीम तस्कर पुलिस से बचकर अफीम की तस्करी के धंधे में जुट जाते हैं।

थानेदार की सूझबूझ से अनर्थ होने से बचा

मुरहू पुलिस के लिए कल का दिन अशुभ होने वाला था लेकिन थानेदार की सूझ बूझ के कारण अनर्थ होने से बच गया। अवैध अफीम की विनष्टीकरण अभियान में निकले जवानों को खेत में डंडा चलाते देख गांव की महिलाएं जुट गईं और अफीम के खेत पहुंच गईं और कहा कि पहले रोजगार दें उसके बाद अफीम को तोड़ें। यहां कुछ है नहीं, तो क्या करेंगे, अफीम भले ही अवैध है, लेकिन पेट की खातिर खेती गलत हो या सही… करेंगे जरूर। मुरहू थाना क्षेत्रान्तर्गत जंगलों से लेकर खेतों में अफीम विनष्टीकरण अभियान में लगे पुलिसकर्मियों पर पारंपरिक हथियार, लाठी डंडे लेकर ग्रामीण महिलाओं ने अचानक पत्थरबाजी शुरू कर दिया जिससे कुछ देर के लिए जवान डर गये, सहम गये। अफीम विनष्टीकरण अभियान में ग्राउंड जीरो में पहुंचने पर देखा गया कि ग्रामीणों में पुलिस के प्रति कितना गुस्सा था। महिलाओं का आक्रोश देख थानेदार भी कुछ देर के लिए सहम गये, लेकिन बड़ी ही सूझ बूझ के साथ ग्रामीण महिलाओं को शांत कराया और वहां से निकल पड़े।

खूंटी में हो रही जहर की खेती

अवैध अफीम से बदनाम खूंटी जिले में अफीम धीरे-धीरे नासूर बनते जा रहा है जो कहीं न कहीं खूंटी जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। मारंगहादा, अड़की, सायको, खूंटी और मुरहू थाना की पुलिस ने अपने-अपने थाना क्षेत्रों में विनष्टीकरण अभियान चलाया, लेकिन मुरहू इलाके में विनष्टीकरण का भारी विरोध देखने को मिला। मुरहू मुख्यालय से करीब 20-25 किमी दूर घने जंगलों में पारंपरिक हथियार लिए महिलाएं पुलिस के सामने आ कर खड़ी हो गईं और खेत से पुलिस को भागने के लिए हल्ला करने लगी। इसी बीच मुरहू थाना प्रभारी विक्रांत कुमार ने अपनी सूझ बूझ के साथ अफीम को तोड़ते हुए खेत से निकलने का इशारा किया, हालांकि कुछ बहुत अफीम बच गया, लेकिन लगभग अफीम को नष्ट कर दिया गया। पुलिस जवानों को लगा कि अब दिक्कत होगी तो जंगल से निकलकर सीधे मैदानी इलाकों में पहुंचे, लेकिन क्रोधित महिलाएं भी कुछ दूर तक पीछे-पीछे चलती रहीं। आधे घंटे तक चली नोक-झोंक के बाद आखिर पुलिस की टीम वहां से निकल गई और दूसरे इलाके में लगी लगभग 10 एकड़ में लगे अफीम की फसल को नष्ट कर दिया। जबकि खेतों में अफीम की पटवन में लगे कई मोटर, कई मीटर की मोटर पाइप, बिजली के वायर समेत कई उपकरण पुलिस ने जब्त कर लिये।

जिले में इस वर्ष भी वृहद पैमाने पर अफीम की खेती लगाई गई है। दो वर्षों की तुलना करें तो इस वर्ष लगभग 8 हजार एकड़ के भूखंड पर अफीम लहलहाती नजर आ रही है। खूंटी पुलिस अवैध अफीम की सूचना पर खेतों तक पहुंच रही है और उसे विनष्ट करने का कार्य कर रही है। वहीं इधर पुलिस का मानना है कि सिर्फ पुलिस के भरोसे नशे की खेती को नष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि वातानुकूलित कमरे में बैठकर समाज सेवा का ढोंग करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को भी बाहर आने की जरूरत है। भटके ग्रामीणों को जागरूक करने की आवश्यकता है, तभी जाकर खूंटी से अफीम को नष्ट किया जा सकता है।

झारखंड में अफीम की लहलहाती फसल देखनी हो तो खूंटी पहुंच जाइये। खूंटी जिले के मुरहू, अड़की और खूंटी प्रखंड क्षेत्रों के जंगलों व खेतों में लहलहाती सफेद व गुलाबी रंग के फूल दिखेंगे, लेकिन वे जहर के फूल हैं और उसी फूल से निकले हुए फल को अफीम कहते है जिससे अफीम के तस्कर चीरा लगाकर गीला पदार्थ निकालते हैं जिसे जमा कर चोरी छुपे बाजरों में अफीम तस्करों के माध्यम से बेचा जाता है।

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