Jharkhand Monsoon Update: भारत के मौसम वैज्ञानिकों ने 2023 में सामान्य मानसून वर्षा की भविष्यवाणी की है।(Jharkhand Monsoon Update) इस साल भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश के बीच ‘अल नीनो’ की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका ने चिंता बढ़ा दी है। प्रशांत महासागर में जब समुद्र की ऊपरी सतह गर्म होती है तो अल नीनो का प्रभाव पड़ता है. इसका असर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर पड़ता है। इससे सूखे की संभावना बनती है और कृषि को नुकसान होता है। अनुमान जताया गया है कि अल नीनो का प्रभाव मई-जुलाई के बीच लौट सकता है। देश में मॉनसून भी पूरी तरह से जून से सितंबर के बीच सक्रिय होता है।
झारखंड की कृषि पर पड़ेगा असर
मानसून (जून से सितंबर) के दौरान अल नीनो के विकसित होने की 90 प्रतिशत संभावना भी बनी हुई है। (Jharkhand Monsoon Update) ऐसे में इस बार सामान्य से कम बारिश होने की संभावना बढ़ गई है। आमतौर पर 1 जून तक मानसून केरल पहुंच जाता है, लेकिन इस बार 4 जून तक पहुंचने की संभावना है।मौसम विज्ञान केंद्र रांची के मुताबिक केरल में मानसून में देरी के कारण झारखंड में भी मानसून देरी से पहुंचेगा। इसका असर झारखंड में भी होगा। झारखंड में मानसून 14 से 15 जून तक प्रवेश कर जाता है। लेकिन इस बार 4 से 5 दिनों की दूरी से 18 से 20 जून तक राज्य में प्रवेश करने की संभावना जताई जा रही है। इसका सीधा असर यहां की कृषि पर पड़ेगा।
क्या होता है “अल नीनो”
अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है। अल नीनो की वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है। इसकी वजह से भारत में भी मौसम पर असर पड़ता है। भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है। सूखे की स्थिति बन जाती है। इससे बारिश में बदलाव आता है। कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश होती है। यदि अल-नीनो दक्षिण अमेरिका की तरफ सक्रिय है तो भारत में उस साल कम बारिश होती है, जो इस बार दिख रहा है।
क्या होता है “ला नीना”
ला नीना में समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। ला नीना से दुनिया भर के मौसम में असर पड़ता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इससे आसमान में बादल छाते हैं और बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करता है। भारत में “ला नीना” के वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है।
सामान्य से कम बारिश हो सकती है
पिछले साल देश का 17% इलाका सूखे की चपेट में रहा. पिछली साल जिन इलाकों कम बारिश हुई थी, इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाके और उत्तर पूर्व के कुछ राज्य थे। ये साल अल-नीनो (El-Nino) का हो सकता है। इसका मतलब ये है कि मॉनसून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
18 से 20 जून तक राज्य में प्रवेश करेगा मानसून
देरी से मानसून आने के चलते बारिश सामान्य से कम होने की संभावना होती है। पिछले साल भी 6 दिनों की देरी से 18 जून को मानसून ने झारखंड में प्रवेश किया था। मौसम विज्ञान केंद्र रांची का पूर्वानुमान है कि इस बार भी मानसून 18 से 20 जून तक राज्य में प्रवेश करेगा, जबकि झारखंड में 12 जून को मानसून प्रवेश की बात कही जा रही थी। मौसम विज्ञानी इस विलम्ब का बड़ा कारण मौसम परिवर्तन को बता रहे हैं।
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