Jharkhand: प्रभारी कुलपतियों के भरोसे कई विश्वविद्यालय, शिक्षा व्यवस्था हो रही प्रभावित

Jharkhand : देश में हायर एजुकेशन को नई शिक्षा नीति से जोड़ कर बेहतर बनाने की बात कही गई है। सिस्टम को सफल संचालन के विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति होती है। लेकिन झारखंड (Jharkhand) के कई विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति के भरोसे चल रहा है।

चार विश्वविद्यालय में हैं स्थायी कुलपति

झारखंड (Jharkhand) के दस सरकारी विश्वविद्यालयों में रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, नीलांबर पीताम्बर विश्वविद्यालय पलामू, कोल्हान यूनिवर्सिटी, विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालयधनबाद, सिदो कान्हु विश्वविद्यालय दुमका, वुमेन्स युनिवर्सिटी जमशेदपुर, रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय रांची, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय , झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी हैं। इन में सिर्फ चार विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति हैं। आपको बताते चलें कि यूजीसी के नियमानुसार सिर्फ छह महीने तक ही प्रभारी कुलपति रखें जा सकते हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।

एक कुलपति के जिम्मे दो विश्वविद्यालय का कार्यभार

झारखंड (Jharkhand) में तो एक कुलपति के जिम्मे दो विश्वविद्यालय का कार्यभार दिया गया है। अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसा होना चाहिए? कुलपति की नियुक्ति में राज्यपाल सह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और राज्य सरकार की अहम भूमिका होती है। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में पिछले चार वर्षों में राजभवन और सरकार के बीच तालमेल का अभाव दिखता रहा है। गौरतलब है विश्वविद्यालय के सफल संचालन में कुलपति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, सीनेट और सिंडिकेट की बैठकों की अध्यक्षता करते हुए कई बड़े फैसले लिए जाते हैं ।स्थायी कुलपति नहीं रहने से कई इंम्पैकट दिखाई पड़ते हैं। इससे नैक मूल्यांकन के ग्रेडिंग पर असर होता है, दूसरा शैक्षणिक सत्र प्रभावित होता है, तीसरा शिक्षक, कर्मचारियों और स्टुडेंट के बीच की कुलपतिमहत्वपूर्ण कड़ी होता है।

रिसर्च और प्लानिंग पर असर

गौरतलब है कि झारखंड (Jharkhand) के सरकारी विश्वविद्यालयों में रिसर्च और प्लानिंग पर भी असर पड़ रहा है। यदि ऐकडेमिक क्षेत्र से जुड़े शिक्षाविद को प्रभारी कुलपति बनाया जाता है तो वो बेहतर काम कर पाते हैं। झारखंड में कई बार ऐसा भी देखा गया है कि आयुक्त या आईएस अधिकारी को विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति बनाया गया है।  लेकिन नियमित तरीके से समय नहीं दे पाते हैं और समय अभाव के कारण कार्य पर असर पड़ता है।

विश्वविद्यालयों को स्थायी  कुलपति की है जरूरत 

झारखंड (Jharkhand) गठन के 24 साल हो चुके हैं, आदिवासी बहुल राज्य में विश्वविद्यालय की तस्वीर बदलने में ऐकडेमिक कुलपति की अहम् भूमिका होती है। कुलपति की नियुक्ति के लिए अब तक दो बार इंटरव्यू भी लिए गए, लेकिन परिणाम सिफर रहा। कुलपति नियुक्ति को लेकर मामला कोर्ट तक भी पहुंचा है। अब गहन चिंतन के साथ सही फैसले लेने का समय है। झारखंड के विश्वविद्यालयों को स्थायी  कुलपति की जरूरत है। गौरतलब है कि रांची विश्वविद्यालय, विमेन्स युनिवर्सिटी जमशेदपुर, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय , झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी में स्थायी कुलपति हैं।

प्रभारी कुलपतियों की नियुक्ति का असर 

पिछले एक साल से छह विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति हैं।

शिक्षक और कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़े मामले लंबित हैं।

बड़े फैसले लेने में देरी होती है ।

प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ता है ।

 

रांची से  अंजनी कुमार की रिपोर्ट 

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