न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
अगर आपका बिजली बिल बकाया है तो ऊर्जा विभाग आपकी बिजली काट देगा, उसका बाकायदा उसने ऐलान भी किया है। यानी ऊर्जा विभाग की चित भी मेरी, पट भी मेरी। उत्पादन नहीं तो बिजली कट, बकाया है तो बिजली कनेक्शन कट। उपभोक्ताओं का रोना है कि बिजली नहीं मिल रही है, ऊर्जा विभाग रो रहा है कि उत्पादन होगा तब न बिजली देंगे। ऊर्जा के स्रोत पर बैठे झारखंड की विडम्बना देखिये, जनता को देने के लिए पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रहा है। कम बिजली उत्पादन के कारण घंटों बिजली कटने का सिलसिला जारी है। यह स्थिति झारखंड की राजधानी रांची की नहीं, पूरे झारखंड की है। बिजली के कम उत्पादन के कारण पूरे राज्य में इन दिनों बिजली की संकट गहराया हुआ है। ऊपर से ऊर्जा वितरण निगम ने उपभोक्ताओं की नींद यह ऐलान करके उड़ा दी है कि जिनका बिजली बिल बकाया है, उनका कनेक्शन काट दिया जायेगा।
बिजली विभाग को तो पैसे जाहिए ही
बिजली विभाग ने बकायेदारों के बिजली कनेक्शन काटने का जो ऐलान किया है, वह निरर्थक भी नहीं है। बिजली जलाने के लिए पैसे तो देने ही होंगे। उसी तरह बिजली उत्पादन के लिए भी पैसे की जरूरत है। पैसे उपभोक्ताओं की बिल वसूली से ही ऊर्जा विभाग के पास आते हैं। बिजली वितरण निगम ने झारखंड सरकार से बकाया चुकाने के लिए 500 करोड़ रुपये की तत्काल मांग की है। जल्द उच्चस्तरीय बैठक होगी। सबसे बड़ा सवाल है कि इस बार 7400 हजार करोड़ के घाटे का दावा करने वाला बिजली वितरण निगम बार-बार घाटे में कैसे चला जाता है।
20 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है बिजली
बिजली वितरण निगम 7400 करोड़ रुपए का घाटा दिखाकर उपभोक्ताओं की जेबें टटोलने का उपाय ढूंढ रहा है। खबर है कि इस घाटे को पूरा करने के लिए बिजली की दरों में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी भी हो सकती है। फिर बिजली के महंगे होने का असर व्यापार और रोजगार पर असर पड़ेगा।
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