न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड सिविल सर्विस आयोग (JPSC) नौकरियां देने में अक्षम साबित तो है कि उस पर नौकरियां ‘छीन लेने’ का ठप्पा लग गया है। छठी JPSC सिविल सर्विस परीक्षा की संशोधित मेरिटलिस्ट शुक्रवार को जारी कर दी गयी। जेपीएससी की जारी यह संशोधित लिस्ट कह रही है कि 60 लोग (अधिकारी) जो नौकरी कर रहे हैं, उनकी नौकरी चली जायेगी, और संशोधित सूची के अनुसार 60 लोगों को नौकरी मिल जायेगी। क्या वाकई ऐसा होगा? अगर होगा, तो वाकई में इसका जिम्मेदार कौन है? अब जेपीएससी ही बता दे, गलतियां उसने की तो खमियाजा, अभ्यर्थी और पूरा राज्य क्यों भुगतें? जिन 60 लोगों की नौकरियां जाने की बात सामने आ रही है, जाहिर है, संशोधित सूची के अनुसार योग्य उम्मीदवार नहीं थे, गलती से उन्हें नौकरी मिल गयी थी। अगर वाकई इनकी नौकरी जायेगी तो क्या जेपीएससी उनसे उनकी सेवाओं के बदले दी गयी ‘कीमत’ वसूल करेगा? अगर ऐसा है तो क्यों? इसमें उनकी क्या गलती थी? गलती तो जेपीएससी की है? अगर हटाना है तो सबसे पहले उन ‘नाकाबिल’ अधिकारियों को हटाना चाहिए जिनसे गलतियां हुई हैं। अब दूसरी बात पर आते हैं। जेपीएससी की गलती के कारण जो 60 लोगों नौकरियों से वंचित रह गये हैं, जिन्हें अब नौकरी मिलने वाली है, क्या जेपीएससी उन्हें मुआवजा भी देगा? अगर हां तो जेपीएससी से फिर वही सवाल कि गलतियां तो उसने कीं फिर खमियाजा राज्य क्यों भुगते?
जेपीएससी ने जारी की है संशोधित लिस्ट
बता दें, झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेपीएससी ने छठी JPSC परीक्षा की संशोधित मेरिटलिस्ट शुक्रवार को जारी की है। इस लिस्ट में 60 नये अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए गए हैं, पहले की जारी सूची में नहीं थे। जबकि 60 लोगों को मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। मेरिटलिस्ट से बाहर हुए ये सभी झारखंड सरकार के अधीन विभिन्न विभागों में गजटेड अफसर के पदों पर लगभग डेढ़ वर्ष से सेवारत हैं।
आखिर जेपीएससी से क्या हुई थी गड़बड़ी
झारखंड संयुक्त असैनिक सेवा मुख्य परीक्षा 2016 (विज्ञापन संख्या 23/2016) का लगभग ढाई साल पहले रिजल्ट प्रकाशित किया गया था और 326 अधिकारियों की नियुक्ति हुई थी। परीक्षा परिणाम के बाद कई अभ्यर्थियों ने रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए झारखंड हाईकोर्ट मैं याचिका लगाई थी। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने संशोधित रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया था। बेंच ने नियुक्तियों को यह कहते हुए अवैध करार दिया था कि विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। परीक्षा शर्तों के अनुसार, पेपर वन हिंदी व अंग्रेजी में सिर्फ क्वालीफाइंग मार्क्स लाना था, लेकिन JPSC ने इसे कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया था। सिंगल बेंच ने विज्ञापन की शर्तों के मुताबिक सुधार कर संशोधित मेरिटलिस्ट जारी करने का आदेश दिया। इस फैसले को चयनित अभ्यर्थियों ने डबल बेंच में चुनौती दी थी। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखा था। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।
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