न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के मामले पर झामुमो और भाजपा ने एक दूसरे पर तलवार खींच ली है।
दोनों इस विवाद के लिए एक दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भले ही कहा कि इस मुद्दे पर आस्था का ख्याल रखा जायेगा,
लेकिन उनकी पार्टी पूछ रही है कि केंद्र सरकार स्पष्ट करें क्या वह अपना गजट नोटिफिकेशन वापस ले रही है।
वहीं भाजपा का कहना है कि सारा विवाद 17 फरवरी 2022 को जारी गजट के बाद शुरू हुआ है।
सम्मेद शिखर विवाद भाजपा का पाप – सुप्रियो भट्टाचार्य
झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सम्मेद शिखर विवाद भाजपा का किया हुआ पाप है।
उन्होंने कहा कि भाजपा जैन समाज को दिग्भ्रमित कर रही है।
सुप्रियो भट्टाचार्य मंगलवार को प्रेस वार्ता में भारत सरकार का राजपत्र और
रघुवर सरकार के कार्यकाल के कागजात दिखाते हुए पूछा कि गिरिडीह के पारसनाथ-मुधवन को पर्यटन स्थल के रूप में किसने चिह्नित किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विशुद्ध रूप से जैन समाज की दुश्मन है। जैन धर्म की पवित्रता को खत्म करने की भाजपा साजिश उजागर हो चुकी है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि पारसनाथ को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित करने की अनुशंसा रघुवर सरकार के कार्यकाल में की गयी थी।
झामुमो ने अपने कार्यकाल में गिरिडीह के उपायुक्त को सम्मेद शिखर की पवित्रता अक्षुण्ण बनाये रखने का आदेश दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार का गजट मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य है,
लेकिन जैन समाज की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए हेमंत सोरेन की सरकार ने आगे बढ़ने का काम नहीं किया।
सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित करे हेमंत सरकार – भाजपा
झामुमो के बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है।
पूर्व पर्यटन मंत्री अमर कुमार बाउरी ने इस विवाद के लिए हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
उन्होंने कहा कि विवाद की जड़ 17 फरवरी, 2022 को घोषित पर्यटन नीति ही है।
जिसमें कहा गया कि धार्मिक दृष्टिकोण से राज्य के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर (देवघर),
पारसनाथ मंदिर (गिरिडीह), मां भद्रकाली मंदिर (ईटखोरी), रजरप्पा मां छिन्नमस्तिका मंदिर (रामगढ़),
कौलेश्वरी मंदिर (चतरा), बासुकीनाथ धाम (दुमका) राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाना है।
इसी संकल्प के जरिये हेमंत सरकार ने सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित किया था।
बाउरी ने सरकार से अपील करते कहा है कि पर्यटन विभाग के 22 अक्टूबर,
2018 को जारी संकल्प (ज्ञापांक 1391) के आधार पर तत्काल पारसनाथ को तीर्थ स्थल घोषित किया जाये।
बाउरी ने रघुवर सरकार पर लगाये गये आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि रघुवर सरकार ने सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित किया था।
पर्यटन विभाग (ज्ञापांक सं 1391, 22.10.2018) में साफ-साफ कहा था
कि पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है।
इसकी पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
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