न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
पुरी के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का गुरुवार को रांची आगमन हुआ। जगद्गुरु हरमू मैदान में आदित्य वाहिनी द्वारा आयोजित धर्म सभा को संबोधित करने के लिए यहां आये थे। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए जगद्गुरु ने भारत को विश्व का हृदय बताया। उन्होंने कहा कि यह वह भूमि है जहां साक्षात नारायण राम, कृष्ण अवतरित हुए हैं। यह भूमि सप्तऋषियों की पावन भूमि है। जगद्गुरु ने इस बात पर निराशा प्रकट की कि जो सनातन सिद्धांत वैदिक ज्ञान के आधार पर टिका आज विश्व ही नहीं, अपने देश में ही उस संस्कृति के खिलाफ षड्यंत्र चल रहे हैं।
शंकराचार्य ने भारतीय संस्कृति, पर गर्व करते हुए वर्तमान में आ रही सामाजिक विकृतियों पर चिंता भी व्यक्त की और लोगों को आगाह भी किया। उन्होंने कहा कि अगर भारत कुंठित हुआ तो पूरा विश्व कुंठित हुए बिना नहीं रहेगा। हमारी पहचान हमारी संस्कृति, वेश-भूषा से ही है। दुनिया हमें हमारी संस्कृति के अनुसार ढला हुआ ही देखना चाहता है। शिक्षा व्यापार आदि के लिए लोग विदेश जाते हैं। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि भारत में ही रहें ताकि व्यक्तिगत विकृति से बच सकें।
पाकिस्तान के हालात पर चर्चा
जगद्गुरु ने अपने प्रवचन के दौरान पाकिस्तान और उसके हालात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पृथक हुए पड़ोसी देश का भारत में सद्भावनापूर्वक मिला लेना चाहिए। तभी अखंड भारत का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान से भी कह रहा है कि अगर वह भारत में होता तो स्थिति अच्छी रहती। कम से कम अन्न का संकट तो नहीं होता।
राजनीति पर भी चर्चा, राजनेताओं को सलाह
शंकराचार्य ने अपने प्रवचन में आज के राजनेताओं को सलाह दी कि राजनीति कैसी होनी चाहिए। जगद्गुरु के अनुसार राजनीति वेद अनुसार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताओं के भरोसे विकास कार्य न छोड़े। समाज के विकास में सम्यक प्रयास होना चाहिए। उन्होंने राजनेताओं का आह्वान किया कि विकास के नाम पर विनाश और उन्माद न फैलाएं, विकास की असली शास्त्रीय परिभाषा को समझे बिना विकास कभी नहीं हो सकता।
गोचर भूमि के लिए पांच दिशाओं में 25-25 एकड़ भूमि मांगी
जगद्गुरु ने झारखंड के मुख्यमंत्री से प्रत्येक जिले की पांच दिशाओं अर्थात पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और मध्य में 25-25 एकड़ भूमि गोचर भूमि के रूप में आवंटित करने की अपील की।
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