अभी हाल में ही दक्षिण के राज्य कर्नाटक ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर अपनी जनता पर बोझ डाल दिया था, ऐसा ही अब झारखंड सरकार भी करने जा रही है। बता दें कि झारखंड में भी कांग्रेस इंडी गठबंधन के साथ सत्ता में है। तो यह सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस शासित सरकारों के सामने ऐसी क्या मजबूरी आ गयी है कि उन्हें ईंधन पर टैक्स लगाना पड़ रहा है। यह तो जाहिर है कि ईंधन आम-ओ-खास की जरूरत है। इसके माध्यम से अतिरिक्त राजस्व हासिल किया जा सकता है। यहां यह भी देखने वाली बात है कि जिस ईंधन की कीमतें कई वर्षों से नियंत्रित हैं। तेल कंपनियां भी कई वर्षों से तेल की कीमत पर नियंत्रण में रखे हुए हैं।
कर्नाटक की कांग्रेस की सरकार ने राज्य जनता को झटका देते हुए पेट्रोल और डीजल पर कर्नाटक बिक्री कर बढ़ा दिया। कर्नाटक सरकार ने 15 जून को पेट्रोल और डीजल पर सेल्स टैक्स में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, पेट्रोल पर ‘कर्नाटक बिक्री कर’ (KST) 25.92 प्रतिशत से बढ़ाकर 29.84 प्रतिशत और डीजल पर 14.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.4 प्रतिशत कर दिया गया है।
अब ऐसा ही झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार करने जा रही है। परन्तु क्यों? आखिर कौन-सी मजबूरी आ गयी कि उन्हें राजस्व के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ रहे हैं? क्या इसकी वजह मंईयां सम्मान योजना तो नहीं जिसकी राशि उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले ही बढ़ाने का ऐलान कर दिया था? अगर राज्य में पेट्रोल डीजल की कीमतों में परिवर्तन होता है तो आप निश्चित मान कर चलिये कि जून में आप पर एक और बोझ बढ़ने वाला है। और यह बोझ बिजली दर में बढ़ोतरी को लेकर है, जिसका प्रस्ताव झारखंड ऊर्जा निगम के पास भेजा जा चुका है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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