खनिजों पर राज्य सरकार का अधिकार, अब रॉयल्टी Tax नहीं, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, झारखंड को मिलेगा फ़ायदा

सुप्रीम कोर्ट खनिजों पर देय रॉयल्टी पर गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले से झारखंड के साथ कई राज्यों की बल्ले-बल्ले हो जायेगी। हालांकि केन्द्र सरकार के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है।

बेंच ने 8-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। सीजेआई चंद्रचूड़ समेत बेंच में शामिल जस्टिस जे. बी. पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस ए. एस. ओका, जस्टिस उज्जवल भुयान, जस्टिस एस. सी. शर्मा और जस्टिस ए. जी. मसीह द्वारा सहमति व्यक्त की गई जबकि जस्टिस बी. वी. नागरत्ना ने फैसले पर अपनी असहमति जतायी।

सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने खनिज प्रधान राज्यों को राहत देते हुए अपने फैसले में कहा कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में दिए गए अपने ही फैसले को पलट दिया। बता दें कि 1989 में सात जजों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स है। नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने विभिन्न राज्यों, खनन कंपनियों और पीएसयू की 86 याचिकाओं पर आठ दिनों तक सुनवाई के बाद 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था।

अदालत ने हालांकि अपने आज के फैसले यह भी स्पष्ट किया कि संसद के पास खनिजों पर कर लगाने की सीमाएं, प्रतिबंध और रोक तक का अधिकार है, मगर जब तक संसद कोई सीमा नहीं लगाती, तब तक खनिज अधिकारों पर कर लगाने का राज्य के पास पूर्ण अधिकार है।

संविधान पीठ में शामिल न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की जिसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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