न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में बुधवार को राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल रमेश बैस के सम्मान में विदाई समारोह आयोजित की गई। भावपूर्ण वातावरण में राज्यपाल को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो, मंत्री जोबा मांझी, मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री रामेश्वर उरांव, मंत्री सत्यानंद भोक्ता, मंत्री बन्ना गुप्ता, मंत्री बादल पत्रलेख ने सप्रेम पुष्पगुच्छ भेंटकर भावभीनी विदाई दी। राज्यपाल ने इस अवसर पर सभी के प्रति आभार व्यक्त साथ ही अपनी भावनाएं भी व्यक्त कीं।
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दो वर्षों के कार्यकाल में जितना काम नहीं किया था, उतना काम चुनाव आयोग का लिफाफा आने के बाद किया। इससे झारखंड का भला हुआ है।
राज्यपाल बैस इस अवसर पर पत्रकारों से वार्ता में कहा- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग के भेजे गए लिफाफे का मामले पर बैस ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्पष्ट कह दिया था कि वह निश्चिंत होकर अपना काम करें, फिर भी यदि कोई अपनी छांव से डरे तो मैं क्या करूं। उन्होंने कहा कि 2021 में झारखंड आने के बाद वह यहां जिस गति से विकास कराना चाहते थे, उस गति से नहीं करा पाया। राज्य के मंत्री और अधिकारियों का विजन यदि सही होता तो झारखंड बीमारू राज्य नहीं, विकासशील प्रदेश होता। उन्होंने कहा कि झारखंड के लॉ एंड ऑर्डर को ठीक कराने का उन्होंने हरसंभव प्रयास किया, क्योंकि बाहर से इन्वेस्टर तभी आएंगे जब राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति ठीक रहेगी। यदि यहां शासन व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं रहेगी तो बाहर से लोग आने में कतराएंगे।
हेमंत सोरेन बहुत अच्छे लीडर हैं
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड में सबसे अच्छा यह लगा कि यहां के लोग बहुत सीधे सादे हैंए लेकिन उन्हें सबसे मलाल यह रहा कि यहां कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। इसके लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों को बुलाकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए, लेकिन इसके बावजूद स्थिति सुधर नहीं पाई। एक सवाल के जवाब में रमेश बैस ने कहा कि हेमंत सोरेन बहुत अच्छे लीडर हैं, इतनी कम उम्र में मुख्यमंत्री बने हैं। वे ऐसा काम कर सकते हैं जो लैंड मार्क साबित हो सकता है। मैंने बीच-बीच में उन्हें कई सलाह दिया, लेकिन पता नहीं वे क्यों उस पर अमल नहीं कर पाए। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बजट में हेल्थ, एजुकेशन, रोड जैसे कुछ प्रमुख सेक्टर पर फोकस कर काम करना होगा, तभी राज्य का अपेक्षित विकास होगा।
1932 की जबरदस्ती समझ से परे
उन्होंने 1932 के खतियान पर कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार क्यों जबरदस्ती करना चाहती है, यह समझ में नहीं आया। यदि 1932 का खतियान स्थानीयता का आधार माना जाएगा तो इससे कई जिलों में भारी समस्या होगी। इस पर सही से निर्णय लेना राज्य के लिए हितकारी होगा।
विदाई समारोह में इनकी थी उपस्थिति
इस अवसर पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह, विधायक प्रदीप यादव, मथुरा महतो, सुदिव्य कुमार, उमाशंकर अकेला, राजेश कच्छप, राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह, झारखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव, सचिव, महाधिवक्ता, पुलिस विभाग के वरीय अधिकारी सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें: बिहार के गया रेलवे स्टेशन पर RPF ने एक करोड़ 50 लाख के आभूषण को जब्त किया, हिरासत में राजस्थान का एक युवक